दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय की नई बिल्डिंग इंदिरा भवन को लोकतंत्र का मंदिर बताते हुए पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अजय मकान ने मीडिया से रूबरू होकर बताया कि पार्टी के मुख्यालय के लिए भूमि का आवंटन 19 नवंबर 2007 में एवं शिलान्यास 2009 में हुआ । 15 जनवरी को भवन का उदघाटन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एवं पार्टी के शीर्षस्थ नेतृत्व राहुल गांधी एवं सोनिया गांधी के करकमलों से 15 जनवरी 2024 को हुआ ।
225 करोड़ की लागत से निर्मित एवं आधुनिकतम प्रौद्योगिकी एवं नवीनतम इंफ्रास्ट्रक्चर से लैस- इंदिरा भवन, न केवल दुनिया के सबसे बड़ी युवा आबादी वाले देश की महत्वाकांक्षा एवं आकांक्षाओं का प्रतीक है, अपितु लोकतंत्र की रक्षा तथा एक सजग विपक्ष की भूमिका निभाने को भी तत्पर है। इसका उद्देश्य ऐसा स्थान तैयार करना था, जो पार्टी का मुख्यालय होने के साथ-साथ उसकी विरासत और मूल्यों का प्रतीक भी बने। इसके डिजाइन में पार्टी के गौरवशाली इतिहास और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को प्रतिबिंबित किया गया है, साथ-साथ इसे आधुनिक कार्यक्षेत्र के रूप में भी विकसित किया है। हमने ऐसा स्वागत-योग्य वातावरण तैयार करने का प्रयास किया है, जो सहयोग और सहभागिता को प्रोत्साहित करे तथा हमारा मुख्यालय प्रेरणादायक और व्यावहारिक दोनों हो। इसके अलावा डिजाइन में पारदर्शिता और खुलापन के तत्वों को शामिल करने पर विशेष जोर दिया गया है, ताकि समावेशिता और लोकतांत्रिक संवाद के मूल्यों को प्रतिबिंबित किया जा सके।
पाँच मंजिल इमारत, कुल 2,100 वर्ग मीटर में है। 276 सीटिंग कैपसिटी के ऑडोटोरियम, मीटिंग रूम्स,कॉन्फ्रेंस हॉलस से सुसज्जित इस भवन में कांग्रेस के हर फ्रंटल आर्गेनाइजेशन तथा सेल के पदाधिकारियों के बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है। इसके लिए, बहुत सारे कमेटी/कांफ्रेंस रूम्स बनाए गए हैं तथा खुली जगहों में देश भर के कांग्रेस जन के उठने बैठने की पर्याप्त व्यवस्था भी आगे की जा रही है। इसमें 134 पेड़;8,675 पौधे और 264 कलाकृत्रियाँ एवं चित्र हैं।
कैफेटेरिया में नन्द लाल बोस की पेंटिंग्स हैं जो गांधी जी के निवेदन पर 1938 में हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन में बनाई गई थीं। गांधी जी ने इस अधिवेशन की परिकल्पना भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में की थी, जो स्वतंत्रता संग्राम की भावना को प्रतिबिंबित करता था। उन्होंने कला को कांग्रेस के राजनीतिक और सामाजिक विमर्श में समाहित करने का प्रयास किया और यही कोशिश इस इंदिरा भवन के माध्यम से हो रही है ।