हाल ही में उदयपुर में नव निरवाण शिवर के आयोजन के बावजूद भी नहीं संभाल पाई कांग्रेस पार्टी अपने दिग्गज नेताओं को । पहले हार्दिक पटेल फिर सुनील जाखड़ और अब कपिल सिब्बल ने किया कांग्रेस को गुड बाये । तीनों की ही गिनती कभी पार्टी में कद्दावर नेताओं के रूप में होती थी । गुजरात से कभी पाटीदारों के नेता कहे जाने वाले हार्दिक पटेल की एंट्री पार्टी में हाल ही में हुई थी उनका इतिहास कुछ ज्यादा पुराना नहीं चंद साल पुराना है लेकिन सुनील जाखड़ की तीन पीढ़ियां पार्टी को समर्पित थीं । उनका स्वयं का इतिहास पार्टी में 30 साल पुराना है । वह पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पंजाब विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा चुके हैं ।
और यदि बात पेशे से वकील कपिल सिब्बल की कही जाये तो उनकी गिनती पार्टी के तेज तरार नेता के रूप में होती थी वह पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं कांग्रेस शासन काल में केंद्रीय मंत्री पद का दायित्व निभा चुके है । वह राम जन्म भूमि मामले में एडवोकेट प्रतिपक्ष एवं अन्य कई राष्ट्रीय मुद्दों के लिए मीडिया की सुर्खियों में रहे हैं । सुनील जाखड़ ने बीजेपी एवं कपिल सिब्बल के समाजवादी पार्टी ज्वाइन करने के समाचार मिले हैं । हालांकि कपिल सिब्बल का कहना है कि उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में राज्य सभा का नामांकन पत्र दाखिला किया है एवं समाजवादी पार्टी उन्हें समर्थन दे रही है । और यदि बात हार्दिक पटेल की की जाये तो उनका रुख अभी क्लियर नहीं है । आखिर ऐसा क्या हुआ कि सीमित अंतराल मे तीन नेता क्रमवार इस्तीफा देने को मजबूर हुए । यदि इनकी सुनी जाए तो पार्टी खुद ही द्वारा निर्धारित मानदंडों से डगमगा गई है। कहीं ना कहीं अभिव्यक्ति की आजादी का अभाव है । या कहिये शीर्षस्थ नेता उनकी बातों को तवज्जु नहीं देते । एक घुटन सी महसूस होती है। फिरकापरस्ती की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता ।
बात अभिव्यक्ति की आजादी की हो या फिर फिरकापरस्ती की कहीं न कहीं अब जरूरी समय अनुसार पार्टी में ढाँचागत बदलाव......