12 पन्नों के सोसाइड नोट ने लगाया अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत पर सवालिया निशान । जानकारों के अनुसार महंत को पढ़ना-लिखना नहीं आता था । दूसरों से खत लिखवाकर बमुश्किल हस्ताक्षर किया करते थे । आखिर ऐसे कौन से राज हैं जिनके खुलने के डर से दबाव में आकर महंत ने किये होंगे 12 पन्ने के सोसाइड नोट पर हस्ताक्षर ? कौन है पर्दे के पीछे का खलनायक ? क्या चेलों की बेवफाई के चलते हुई महंत की मौत ? जेहन में ऐसे कई बहुत से सवाल हैं जिनका खुलासा होना अभी बाकी है ।
प्रयागराज के अल्लापुरा स्थित श्रीमठ बाघंबरी गद्दी के जिस कमरे मे पंखे पर लटककर महंत ने कठित आत्महत्या की थी, उसका पंखा चल रहा था एवं जमीन पर रखे महंत के पार्थिव शरीर के साथ उनके उनके शिष्य बलबीर गिरी खड़े थे । शव को पुलिस के आने से पहले क्यों उतारा गया ? जहाँ सोसाइड नोट में महंत ने बालवीर को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है वहीं प्रमुख शिष्य आनंद गिरी जो कि उनके कथित उत्तराधिकारी भी हैं एवं अन्य सहयोगियों पर आत्महत्या करने के लिये मजबूर करने का आरोप लगाया गया है ।
घटनाक्रम के दौरान आनंद गिरी हरिद्वार में थे । उन्हें हरिद्वार से प्रयागराज लाया गया है और फिलहाल हिरासत में हैं । उनके खिलाफ जार्ज टाउन थाने मे भारतीय दंड विधान की धारा 306 के तहत मामला दर्ज है । महंत नरेंद्र गिरी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष के साथ निरंजनी अखाड़े के सचिव भी थे । ममले पर तहकीकात जारी है पुलिस ने कुछएक करीबी लोगों को हिरासत में लिया है एवं जवाब-तलब जारी है ।
संदेहजनक परिस्थितियों में हुई महंत नरेंद्र गिरी की मौत के मध्य-नजर दिल यह सोचने को मजबूर हो जाता है कि मोह-माया को त्यागकर सन्यासी बने साधू-संत भी नहीं हैं राजनीति से अछूते.....