कर्नाटक के एक स्कूल में सदियों से चले आ रहे ड्रेस कोड की अवमना कर समुदाय विशेष की एक छात्रा के हिजाब पहनकर आने एवं अन्य छात्राओं द्वारा अनुसरण से उठी चिंगारी की लपटें ऐन पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले दक्षिण से उत्तर भारत तक विशेषकर उत्तर प्रदेश में स्पष्ट दिखाई दी I छात्राओं के समर्थन में चंद राजनीतिक दलों द्वारा उलेमाओं को आगे कर विभिन्न स्थानों से प्रदर्शन एवं जमकर नारेबाजी के उन दिनों के समाचार भी मिले हैं I
मामला स्थाननीय हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा I मामला फिलहाल ठंडे बस्ते में है I यह बात और है कि उत्तरप्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में इसका असर न के बराबर रहा I स्वयं इन दलों के कुछ नेताओं ने दबी जुबान कबूला है गलत समय पर हुई इस हल्लेबाजी से प्लेटफॉर्म दूसरों को मिला I मसाला हिजाब का नहीं स्कूलों में ड्रेस कोड की अवहेलना कर हिजाब पहन कर आने का है I
हिजाब पहनकर स्कूल परिसर में प्रवेश न मिलने पर जिद में चंद छात्राओं का हिजाब पहनकर अल्लाह हू अकबर की नारेबाजी लगाकर परिसर के बाहर चक्कर लगाना पिछले दिनों मीडिया में वायरल हुआ I जिसे बाद मे चंद फिरकपरस्तों द्वारा अपनी ही विचारधारा वाले चंद उलेमाओं के साथ मिलकर राजनीतिक तुष्टीकरण के लिए हवा दी गई I स्वयं मुस्लिम युवतियों का कहना है कि वह केवल खास मौके पर ही आवश्यकता अनुसार हिजाब ऑर बुर्के का इस्तेमाल करती हैं I इन सबके बीच विचारणीय है तो बस सदियों से चली आ रही बुर्के ऑर हिजाब की परंपरा को पीछे छोड़ आई खुले माहौल में जीने वाली इन युवतियों को मंजूर वही बंदिश.......