आज विजयदशमी याने कि दशहरे के दिन जहाँ दुनियाभर में रावण के पुतले को जलाया जाता है , दिल्ली से चंद किलोमीटर दूर एक गाँव ऐसा है जहाँ रावण को जलाया नहीं जाता अपितु उसकी पूजा होती है I जी हां हम बात कर रहे हैं ग्रेटर नोएडा के बिसरक गांव की । दशहरे के दिन यहाँ छा जाती है खामोशी I
यहाँ के लोगों का मानना है कि रावण इसी गाँव का रहने वाला था । यहाँ रावण द्वारा शिव मंदिर है रावण ने अपने हाथों से शिव लिंग की स्थापना की थी । मंदिर के मुख्य द्वार पर रावण के पिता माता वा रावण की मूर्तियाँ हैं । मंदिर परिसर में निर्माण कार्य जारी है । मंदिर के महंत का कहना है कि निर्माणाधीन हिस्से में कुबेर, विश्वकर्मा और रावण की मूर्तियाँ प्रतिस्थापित की जायेंगी । साथ ही धर्मशला का निर्माण कार्य भी जारी है जहाँ पर भक्तों के रुकने के लिए माकूल व्यवस्था होगी ।
यहाँ स्थित श्री मोहन मंदिर योगाश्रम ट्रस्ट परिसर में रावण के प्रतीक को स्थापित किये जाने के विरोध में अगस्त के महीने में कुछ नकाबपोश युवकों के समुह ने जबरन घुसकर प्रतीक को नष्ट कर दिया । आपसी समझौता होने से मामले की प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई । लेकिन मामला मीडिया की सुर्खियों में रहा ।
बिसरख के अतिरिक्त तीन जगह और रावण के मंदिर हैं । विभन्न सूत्रों से प्राप्त जानकारी और उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार कानपुर में दशानन रावण मंदिर, मध्य-प्रदेश के विदीशा में रावण ग्राम का रावण मंदिर और आंध्र-प्रदेश के काकिनाडा में रावण का मंदिर । इसके अतिरिक्त मध्य-प्रदेश के ही मंडसौर में भी रावण का मंदिर है । यहाँ के लोगों का मानना है कि यहाँ रावण और मंडोदरी की शादी हुई थी । इस नाते रावण यहाँ का दामाद है ।
राजस्थान के मंडोर में रावण के मंदिर के तो प्रमाण नहीं मिले लेकिन यहाँ के दवे ब्राहमणों का मानना है कि वे रावण के वंशज हैं । यहाँ दशहरे के दिन रावण का श्राद्ध और पिंड दान दिया जाता है । लंका पर चढाई करने के लिये श्वेत रामेश्वरम पुल बनाये जाने से पहले शिव लिंग की स्थापना करने वाला और भगवान राम को विजई भवो का आशीरवाद देने वाला ब्राहमण भी रावण ही था ।
जहाँ भी रावण का मंदिर है वहाँ शिवालय भी है । क्योंकि भगवान शिव रावण के आराध्य देव हैं । पूरे देश मे जहां दशहरे के दिन रावण दहन होता है वहीं यहां रावण का पूजा जाना यह सोंचने को मजबूर कर देता है कि क्या रावण वास्तव में गलत था......