दिल्ली: सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा पाँचवें पातशाह श्री गुरु अर्जन देव जी का शहीदी दिवस पूर्ण श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कमेटी के प्रबंधन द्वारा विभिन्न गुरुद्वारों में कीर्तन दीवान सजाए गए। मुख्य कार्यक्रम गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब परिसर स्थित भाई लखी शाह वंजारा हॉल में हुआ, जहाँ रागी सिंहों के जत्थों ने गुरु की इलाही बाणी का रसपूर्ण कीर्तन कर संगतों को निहाल किया। इस मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कमेटी के प्रधान सरदार हरमीत सिंह कालका और जनरल सेक्रेटरी सरदार जगदीप सिंह काहलों ने कहा कि गुरु अर्जन देव जी ने सिख धर्म में शहादतों की शुरुआत की। उनके बाद गुरु तेग बहादुर साहिब जी ने शहादत दी। फिर दसवें पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबज़ादों और सिख धर्म के अनेक सूरमाओं ने शहादत दी।
उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष हम गुरु तेग बहादुर जी का 350वाँ शहीदी दिवस मना रहे हैं, और इसी अवसर पर सहज पाठ की एक श्रृंखला शुरू की गई है। जिन घरों में गुरु साहिब का स्वरूप पहले से मौजूद है, वहाँ तो यह हो ही रहा है, साथ ही जिन घरों में स्वरूप नहीं है, वहाँ कमेटी द्वारा स्वरूप और पोथियाँ भी दी जा रही हैं ताकि संगत सहज पाठ की पूर्णता कर सके। गुरु अर्जन देव जी के बाद छठे पातशाह गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने श्री अकाल तख्त साहिब की स्थापना की और सिखों को मीरी-पीरी के दो सिद्धांत दिए।
यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि आज कुछ शक्तियाँ सिखों के सर्वोच्च तख्त का वह सम्मान नहीं कर रहीं, जो किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन लोगों के लिए निजता अधिक महत्वपूर्ण हो गई है और गुरु साहिब का सम्मान कम हो गया है।