दिल्ली: रिहायशी एवं व्यवसायिक प्रॉपर्टी पर लगाये गए यूजर चार्जेज के खिलाफ आगामी 21 मई को होने वाले एमसीडी सत्र में प्रस्ताव को पास करवाने का प्रयास करेगी आम आदमी पार्टी । एमसीडी में नेता विपक्ष अंकुश नारंग के अनुसार यूजर चार्ज इसलिए नहीं लगने चाहिए, क्योंकि 12 जोन में मौजूद हमारे कंसेशनरी डोर-टू-डोर कूड़ा नहीं उठाते। 60 से 70 फीसद कूड़ा डोर-टू-डोर उठता है और उसे प्राइवेट लोग उठाते हैं। उन प्राइवेट लोगों को पैसे घर के मालिक या व्यवसाय के मालिक देते हैं।
अभी तक इन 12 जोन के कंसेशनरियों और प्राइवेट लोगों के बीच कोई समन्वय नहीं बन पाया है। अभी तक एमसीडी सभी ढलावों को बंद करने में विफल रही है और ढलावों के आसपास खूब सारा कूड़ा जमा होता है, जिससे वातावरण प्रदूषित होता है और बदबू के कारण लोगों का वहां रहना और निकलना मुश्किल हो जाता है। साथ ही, एफसीटीएस के आसपास भी इतना कूड़ा एकत्रित होता है कि लोगों का वहां से गुजरना कठिन हो जाता है। इसके अलावा, दिल्ली में कई वल्नरेबल पॉइंट्स हैं, जहां कूड़ा इकट्ठा होता है। एमसीडी न तो ढलावों को खत्म कर पाई है, न ही एफसीटीएस के पास कूड़े को हटा पाई है और न ही रिहायशी इलाकों में वल्नरेबल पॉइंट्स पर कूड़े को समाप्त कर पाई है।
भाजपा शासित एमसीडी अभी तक सफाई व्यवस्था को दुरुस्त नहीं कर पाई है। अगर सफाई व्यवस्था दुरुस्त होती, तो मेगा सफाई अभियान चलाने की जरूरत नहीं पड़ती। जब तक 100 फीसदी सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो जाती, तब तक किसी पर भी यूजर चार्ज नहीं लगना चाहिए। लोग बहुत परेशान हैं। लोगों का कहना है कि अगर उनका हाउस टैक्स 800 या 850 रुपये है, तो उन्हें 1,000 रुपये यूजर चार्ज देना पड़ रहा है। किसी का प्रॉपर्टी टैक्स 2,500 से 3,000 रुपये है, तो उसे 5,000 रुपये यूजर चार्ज देना पड़ता है। यह सही नहीं है। यह दिल्ली के निवासियों और व्यापारियों पर वित्तीय बोझ है और ऐसा नहीं होना चाहिए।
उनका मानना है कि जब तक एमसीडी 100 फीसद डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने में सक्षम नहीं हो जाती, तब तक यूजर चार्ज लगाने का कोई अधिकार नहीं है। जब तक ढलाव, वल्नरेबल पॉइंट्स और एफसीटीएस के आसपास कूड़ा खत्म नहीं होता, तब तक एमसीडी को किसी भी निवासी या व्यवसायी पर यूजर चार्ज लगाने का हक नहीं है। हमने यह प्रस्ताव रखा है। मजेदार बात यह है कि जब राजा इकबाल 25 अप्रैल को महापौर बने, तो उन्होंने अपने पहले संबोधन में कहा था कि यूजर चार्ज वापस लेंगे। लेकिन एक महीना होने को है और उन्होंने न तो यूजर चार्ज वापस लिया और न ही इस पर कोई बात की।
इस संदर्भ में पहले भी कमिश्नर अश्विनी कुमार और महापौर को चिट्ठी लिखी गई थी। 6 मई को चिट्ठी भेजी थी और आज 10 दिन हो गए, लेकिन न तो महापौर और ना ही कमिश्नर ने कोई जवाब दिया है। अगर नेता विपक्ष की चिट्ठी का जवाब नहीं देते हैं, तो दिल्ली की जनता की बात क्या ही सुनते होंगे और क्या ही कार्रवाई करते होंगे? अगर यूजर चार्ज को लेकर नेता प्रतिपक्ष की की चिट्ठी कूड़े में फेंकी जा रही है, तो आम जनता की शिकायतों का क्या हाल होगा? महापौर व कमिश्नर से निवेदन है कि यूजर चार्ज तुरंत वापस लिया जाए। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो हम सदन में प्रस्ताव के जरिए अपनी बात रखेंगे और सड़क से सदन तक इस मुद्दे को उठाएंगे। हम दिल्ली की जनता के साथ एमसीडी द्वारा यूजर चार्ज के माध्यम से हो रहे अन्याय को नहीं होने देंगे।