दिल्ली को देश जा आईना बताते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के नेता जो तत्कालीन शीला दीक्षित दिल्ली सरकार की नाहत्वपूर्ण कड़ी थे , का मानना है कि देश की राजधानी होने की वजह से दिल्ली के जो मुद्दे होते हैं, वह राष्ट्रीय मुद्दे होते हैं। आज अगर श्रमिकों की स्थिति, झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले हमारे भाई-बहनो की स्थिति दिल्ली में दयनीय है, तो आप समझ लीजिए कि यह प्रतिबिंब पूरे देश का है। पूरे देश में क्या हो रहा है पिछले 10 साल से वह दिल्ली को देखकर आभास हो जाता है।
राहुल गाँधी की भारत जोड़ो एवं न्याय यात्रा के दौरान हुए जनता से संवादों का निचोड़ से। तैयार हुआ है कांग्रेस का चुनावी घोषणा पत्र । पिछले 10 साल से ऐसा लगता है कि दिल्ली को किसी की नजर लग गई। 15 साल दिल्ली ने पूरे विश्व में देश का नाम रोशन किया- मेट्रो आई, इतने फ्लाई ओवर्स आए, प्रदूषण रहित सार्वजनिक यातायात पूरा शुरू हुआ, पूरे विश्व ने अचंभे से देखा कि यह कैसे कायाकल्प हो गया दिल्ली का। शायद इसी वजह से दिल्ली को नजर लगी। जब से केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई है, ऐसा लगता है कि वह दिल्ली से बदला लेना चाहती है, क्योंकि 1998 से लेकर आज तक दिल्ली ने भाजपा को फिर मौका नहीं दिया, 1993 में एक ही बार मौका दिया था, उसके बाद 1998, 2003, 2008, 2013, 2015, 2020 इतने चुनाव हो गए और भाजपा को दिल्ली ने मौका नहीं दिया, यह दर्शाता है कि भाजपा की पोल दिल्ली वालों की आंखों में खुल गई है और दिल्ली भाजपा की रग-रग से वाकिफ है, दिल्ली को भाजपा मूर्ख नहीं बना सकती।
एक बदले की भावना से ओतप्रोत केंद्र सरकार, जो बना-बनाया ढांचागत हमने व्यवस्था बनाई थी, उसको छिन्न-भिन्न करने पर आमादा है, जो योजनाएं हम लाए थे, अनाधिकृत कॉलोनियों पर विशेष तौर पर। मुझे याद है स्वर्गीय शीला जी चिंतित रहती थीं कि कैसे इनका हम नियमितीकरण करें और भागा-दौड़ी करके केंद्र सरकार से भी जद्दोजहद करके, अफसरशाही से जद्दोजहद करके, विशेषज्ञों से राय-मशवरा करके फिर हमने उनका नियमितीकरण किया, सर्टिफिकेट्स बांटे, मूलभूत सुविधाओं की तरफ वह प्रक्रिया शुरू की, लेकिन उन सब पर पहले अर्ध विराम लगा और अब पूर्ण विराम लग गया है।
प्रधानमंत्री उदय योजना, सुना होगा आपने? यहां का जीवन झुग्गी-झोपड़ियों में, अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले 70 प्रतिशत लोगों का जीवन, उदय शब्द, उनका इस्तेमाल उनके लिए करना भी उनका अपमान है, क्योंकि उनके जीवन में सूर्योदय होते हुए उन्होंने नहीं देखा, अंधेरेमयी जिंदगी वह जी रहे हैं। जो धांधली उदय योजना में हो रही है रजिस्ट्री के नाम पर वह किसी से छिपी नहीं है।