सरकारी दबाव में गुरुद्वारा चुनाव आयोग द्वारा लॉटरी के माध्यम से चुने गए सदस्य
दिल्ली: सरकारी दबाव में गुरुद्वारा चुनाव आयोग द्वारा लॉटरी के माध्यम से चुने गए सदस्यों के संबंध में लिया गया निर्णय उस दौर की याद दिलाता है जब पुलिस और प्रशासन की मदद से विरोधी पक्ष को बाहर निकालकर कालका-काहलों की जोड़ी ने सरकारी संरक्षण में दिल्ली कमेटी पर जबरन कब्जा कर लिया था। उसी परंपरा को दोहराते हुए, इन लोगों ने अब सिंह सभाओं से लॉटरी द्वारा चुने गए सदस्यों की सदस्यता को रद्द कर अपने खास लोगों को सदस्य बना दिया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली कमेटी के आम चुनाव से पहले ही कालका-काहलों की जोड़ी नैतिक रूप से अपनी हार स्वीकार कर चुकी है। अब वे सरकारी संरक्षण के माध्यम से इस तरह की ज़बरदस्ती कर बहुमत का दिखावा कर रहे हैं। लेकिन उन्हें यह बात याद रखनी चाहिए कि दिल्ली की संगत उनके साथ नहीं है।
इनकी मक्कारी इस बात से साफ जाहिर होती है कि जब मलकीत सिंह और कश्मीर सिंह ने रिट दाखिल की थी, तब डायरेक्टोरेट ने चुनाव अधिकारी के माध्यम से हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर उस रिट का विरोध किया था। लेकिन अब सरकारी दबाव के कारण अदालत से बाहर ही फैसला सुना दिया गया है। क्या इन्हें न्यायपालिका पर भरोसा नहीं था? अगर ये सच्चे थे तो अदालत से क्यों भागे — इसका जवाब इन्हें देना चाहिए।
इस मामले में अदालत ने अर्ज़ियों में दिए गए बयानों पर कोई राय व्यक्त नहीं की थी, और यह नया घटनाक्रम स्पष्ट रूप से राजनीतिक प्रेरणा से प्रेरित है और यह कानूनी शक्तियों का निष्पक्ष प्रयोग नहीं है। 1971 के नियमों के अधीन रजिस्ट्रार सोसाइटीज के पास संबंधित सोसाइटीज़ द्वारा रिकॉर्ड अपडेट न किए जाने की स्थिति में सूची में कोई नया नाम शामिल करने की अनुमति देने का कोई अधिकार नहीं है। हम इसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे। इसके अलावा, लॉटरी द्वारा चुने गए सदस्यों को हटाने से पहले न तो कोई कारण बताओ नोटिस दिया गया और न ही सरकार के पास ऐसे सदस्यों को हटाने या किसी और को नामित करने की कोई शक्ति है, खासकर जब इस संबंध में एक रिट याचिका अदालत में दाखिल की गई थी और फिर वापस ले ली गई थी।
शिरोमणि अकाली दल के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना के अनुसार ये सारे तथ्य यह स्पष्ट करते हैं कि दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के आगामी आम चुनावों में अपनी हार को सामने देखकर ये लोग अब सरकारी संरक्षण में खुद को ताकतवर दिखाना चाहते हैं। लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि संगत ने इनकी लूट-खसोट और पंथ-विरोधी मानसिकता को भली-भांति देख लिया है और अब संगत इनसे हिसाब लेने के लिए तैयार बैठी है।
06:49 pm 06/06/2025