दिल्ली: नेशनल हेराल्ड मामले में मीडिया से रूबरू हो के बोले पूर्व मंत्री पी चिदंबरम कहा कि कहाँ है अपराध कहाँ है? अपराध की कमाई? भ्रष्टाचार का पैसा कहाँ है ? कहाँ है धनशोधन का मामला ? मांगा सबूत । पीएमएलए ने अभी तक ईडी द्वारा दाखिल चार्ज शीट पर संज्ञान नहीं लिया है । उनका दावा है कि पैसे का कोई लेन-देन हुआ ही नहीं । उन्होंने मौजूदा सियासत पर लगाया आरोप कहा कि कांग्रेस के शीर्षस्थ नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की प्रतिष्ठा को निशाना बनाने के लिए खुलकर हो रहा है सत्ता का दुरपयोग कर हो रही है प्रतिशोधात्मक कार्यवाही ।
उनकी पार्टी इस राजनैतिक हमले का पुरजोर विरोध कर नाकाम करेगी । दिल्ली सहित देश के 57 शहरों में होगी प्रेस कॉन्फ्रेंस । ईडी याने कि प्रवर्तन निर्देशालय ने इस मामले में 988 करोड़ रुपये के धनशोधन के लिए कांग्रेस के इन दो शीर्षस्थ नेताओं के ख़िलाफ़ अदालत में चार्ज शीट दाखिल की है । पूर्व मंत्री ने बताया कि नेशनल हेराल्ड 1937-38 में पंजीकृत कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के स्वामित्व में है। जो कि पब्लिक लिमिटेड कंपनी है। एजेएल की भारत में छह अचल संपत्तियां है। सिर्फ लखनऊ में संपत्ति एक फ्रीहोल्ड संपत्ति है। दिल्ली, पंचकुला, मुंबई, पटना और इंदौर कीय संपत्तियां लीज़होल्ड है जिन्हें शर्त पर सरकार द्वारा आवंटित किया गया हैं कि ये संपत्तियां बेची नहीं जा सकती है।समय के साथ, एजेएल ने भारी नुकसान उठाया। एजेएल (और नेशनल हेराल्ड) करों, वैधानिक बकाया, या मजदूरी और वेतन का भुगतान नहीं कर सका था। एजेएल की बकाया देनदारियां अत्यधिक बढ़ती गईं। 2002 और 2011 के बीच, कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ रुपये की राशि, चेक द्वारा, छोटी-छोटी किश्तों में एडवांस में दिया था। इस राशि का उपयोग बकाया देनदारियों सहित वेजेस व वेतन देने के लिए किया गया।एजेएल एक कर्ज में डूबी कंपनी थी। कानूनी सलाह पर, कंपनी के पुनर्गठन का निर्णय लिया गया। 2010 में, एक नई कंपनी, यंग इंडियन को कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 25 के तहत एक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी के रूप में गठित किया गया था (अब कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8)। यंग इंडियन कम्पनी में 4 शेयर धारक थे, जो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारी थे।
यंग इंडियन के 50 लाख रुपये के भुगतान के एवज में एजेएल को कांग्रेस पार्टी द्वारा एडवांस 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया। यंग इंडिया एजेएल के ऋणदाता बन गए। चूंकि एजेएल से ऋण अपूरणीय था, इसलिए दो कंपनियों द्वारा यह तय किया गया था कि ऋण को इक्विटी में बदल दिया जाएगा और तदानुसार, इक्विटी शेयर एजेएल द्वारा यंग इंडिया को जारी किए गए थे। इक्विटी में ऋण का रूपांतरण फिर से कम्पनियों को दोबारा संरचित करने के लिए जाता है। बैंक इसे नियमित रूप से करते हैं। यंग इंडियन एक नॉट-फॉर-प्रॉफिट कंपनी है, जो धारा 25 (अब धारा 8 है) के तहत यदि लाभ कमाता है, तो यह अपने शेयरधारकों को वेतन या लाभांश नहीं दे सकता है या वितरित नहीं कर सकता है। निगमन के बाद से, यंग इंडिया के द्वारा अपने निवेशकों या शेयरधारकों को एक भी रुपये का भुगतान नहीं किया गया है। आयकर विभाग ने एजेएल की संपतियों का आंकलन 413 करोड़ रुपये किया है। 2013 में, एक व्यक्तिगत शिकायतकर्ता ने यंग इंडिया के निदेशकों के खिलाफ एक निजी शिकायत दर्ज की, जिसमें उनके खिलाफ धोखा और साजिश इत्यादि का आरोप लगाया। शिकायतकर्ता के क्रॉस-एग्जामिनेशन के दौरान शिकायतकर्ता ने 2020 में दिल्ली उच्च न्यायालय एक अपील दायर की और ट्रायल कोर्ट में आगे की कार्यवाही पर स्टे लिया। अर्थात प्रभावी रूप से आपराधिक मामला रुका हुआ है।