दिल्ली : क्राइम ब्रांच द्वारा गठित एक टीम ने पाँच अभियुक्तों को गिरफ्तार कर विश्वविद्यालय एवं शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों को साथ में लेकर डिग्री उपलब्ध करवाने के फरजीवाड़े को किया नस्तेनाबूत । फर्जीवाड़ा चलाने वाले गिरोह का सरगना विक्की हरजानी रोहिणी में परमहंस विद्यापीठ चलाता था । फरजीवाड़े को कार्यरूप देने के लिए उसने नेताजी सुभाष प्लेस में एक काल सेंटर भी बनाया हुआ था । उसकी गाड़ी एवं ऑफिस से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमांचल प्रदेश, राजस्थान, सिक्कम, मेघालय, गुजरात , तमिलनाडु आदि राज्यों के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 75 फर्जी दस्तावेज बरामद हुए ।
आरंभिक जाँच से पता चला है कि इन लोगों की शिक्षण संस्थानों के कर्मचारियों के साथ मिली-भगत से फर्जी रिकॉर्ड तैयार किए जाते थे लेकिन डिग्री ओरिजिनल होती थी । एक डिग्री उपलब्ध करवाने के लिए एक से डेढ़ लाख रुपया लिया जाता था । कुल मिलाकर ये लोग लगभग 5000 डिग्रियाँ जिनमें बीएमएस, बीटेक, बीफार्मा भी शामिल हैं मुहैया करवा चुके हैं । इनका नेटवर्क पेन इंडिया में फैला हुआ था । इनके क़ब्ज़े से 228 मार्कशीट, 27 डिग्रीयाँ एवं 20 माइग्रेशन सर्टिफिकेट बरामद हुए । हैरत की बात यह है कि गिरोह का मास्टर माइंड दसवीं पास है एवं विद्यापीठ चलाता था । ये लोग पिछले तीन सालों से फर्जवाड़ा चला रहे थे ।
पांचों अभियुक्त हिरासत में हैं एवं मामले पर तहक़ीक़ात जारी है । कहीं ना कहीं जरूरी है कसी जानी शिक्षा के नाम पर चल रहे फरजीवाड़े पर नकेल ।