बनावटी संवैधानिक संकट पैदा करने की हो रही है कोशिश: दिलीप पांडे
दिल्ली के अंदर बनावटी संवैधानिक संकट पैदा करने की कोशिश कर रही भाजपा पर आम आदमी पाटी ने करारा हमला बोला है।
‘‘आप’’ के वरिष्ठ नेता दिलीप पांडे ने कहा कि भाजपा दिल्लीवालों में यह धारणा पैदा करने की कोशिश कर रही है कि संवैधानिक संकट पैदा हो गया है, ताकि वो इसे आधार बनाकर राष्ट्रपति शासन लगा सके। भाजपा का देश के संविधान और लोकतंत्र में कोई आस्था नहीं है। इसलिए वो दिल्ली में प्रचंड जनादेश को अपने जूते की नोंक पर रखना चाहती है। दिल्ली में संवैधानिक संकट पैदा करने के लिए साजिश के तहत भाजपा की केंद्र सरकार खाली पदों को नहीं भर रही है। वहीं, एलजी जिन कामों को स्थानांतरित विषय का बता कर दिल्ली सरकार को घेर रहे थे, अब उन्हीं विषयों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिख रहे हैं कि मंत्री बैठकों में नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्लीवाले केजरीवाल सरकार के मुफ्त बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं को एक हजार देने की घोषणा समेत अन्य कामों से बेहद खुश है। दिल्ली में कोई संवैधानिक संकट नहीं है और सरकार पूरी ईमानदारी से जनता के लिए काम कर रही है।
विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 में यह बताया गया है कि राष्ट्रपति शासन किन परिस्थितियों में लगाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को पद से हटाने वाली पीआईएल पर जुर्माना लगाते हुए तीन बार खारिज किया है। इससे यह सिद्ध होता है कि दिल्ली में कुछ भी असंवैधानिक नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 356 के सेक्शन 93 में छह बिन्दु दिए गए हैं और ये संवैधानिक संकट की स्थिति को परिभाषित करते हैं। इनमें से किसी बिंदु का पालन न होेन पर किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। वहीं, जब दिल्ली में ऐसी किसी भी तरह की स्थिति नहीं है। फिर बीजेपी ऐसी परिस्थियां क्यों पैदा करना चाहती है, जिनकी आड़ में वो दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दें। सभी दिल्लीवासी अपने नेता अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की सरकार के साथ खड़े हैं। दिल्ली के लोग, विधायक और पार्षद कल भी बीजेेेपी से लड़े ेरहे थे, आज भी ेेलड़ रहे हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे।
*इन बिंदुओं के आधार पर किसी राज्य में लग सकता है राष्ट्रपति शासन*
1. संवैधानिक संकट तब कहा जा सकता है, जब दिल्ली में सरकार अल्पमत में हो, लेकिन दिल्ली में अल्पमत का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता है।
2. दिल्ली में खराब कानून व्यवस्था को आधार बनाकर भी राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि यह सीधे-सीधे एलजी और केंद्र सरकार के अधीन आती हैं।
3. दिल्ली सरकार ने ऐसा कोई कानून पारित नहीं किया है, जो केंद्र सरकोर के बनाए कानून के खिलाफ हो।
4. दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार के किसी विधि सम्मत आदेश को भी मानने से इन्कार नहीं किया है।
5. दिल्ली सरकार ने कुछ भी ऐसा नहीं किया है, जो सुप्रीम कोर्ट को चुनौती देता हो।
6. दिल्ली सेेेरकार ने भारत की संप्रभुता के खिलाफ कोई काम नहीं किया है।
07:31 pm 12/04/2024