कोरोना वायरस के संक्रमण काल में भी सक्रिय है देश में राजनीतिक सरगर्मियाँ । चल रहा है वर्चुअल रैलियों का दौर वो भी उस समय जब देश दो महीने की पूर्णबंदी के बाद सामान्य जन-जीवन बनाये रखने के लिये आर्थिक संकट के दौर से जूझ रहा है । यह बात और है कि आयोजकों ने इसे जनसंवाद का नाम दिया है और इनका आयोजन केंद्रिय नेतृत्व द्वारा राज्यवार हो रही हैं । हाल ही में केंद्रिय गृह मंत्री अमित भाई शाह ने पश्चिम बंगाल जन संवाद वर्चुअल रैली को संबोधित किया । उसी प्रकार केंद्रिय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने महाराष्ट्र जन संवाद वर्चुअल रैली में अपने विचारों को रखा ।
केंद्रिय मंत्री सुश्री स्मृति इरानी भी दिल्ली जन संवाद वर्चुअल रैली को संबोधित करने वाली हैं । रैली में वह देंगी मोदी सरकार की एक साल की उपलब्धियों का लेखा-जोखा । अन्य केंद्रिय मंत्रियों द्वारा भी विभिन्न राज्यों के लिये की जा रही हैं वर्चुवल रैली । भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस प्रकार कि 75 रैलियाँ सुनियोजित हैं । देश इस वक्त वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है । संक्रमण का आंकड़ा 297535 पार कर गया है और संक्रमण से मरने वालों की संख्या 8498 है । लगभग 147195 लोग ठीक होकर सामान्य जीवन में लौट आये हैं । संक्रमण का आंकड़ा निरंतर बढ़ता जा रहा है ।
देश आर्थिक मंदी के दौर से जूझ रहा है । धीरे-धीरे उद्योग-धंढ़ो को खोला जा रहा है । तमाम घोष्णाओं के बावजूद देश का एक बड़ा हिस्सा जिन्में नौकरी पेशा, उद्यमी एवं व्यसायी भी शामिल हैं आजीविका एवं बुनियादी जरूरतों की जुगाड़ में संघर्षरत है ।इन वर्चुअल रैलियों के आयोजन के पीछे का मकसद जो भी हो देश के राजनीतिक हल्कों में हड़कंप मच गया है । विपक्ष ने इन रैलियों को लेकर केंद्र पर साधा निशाना । राजस्थान के कांग्रेसी खेमें में हलचल स्पष्ट दिखाई दे रही है । आनन-फानन में यहाँ के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत ने विधायकों और समर्थकों की मीटिंग बुलाई है ।
विधायकों और समर्थकों को जयपुर से बाहर एक प्राइवेट रिजोर्ट में ठहराया गया है । 19 जून को राज्य सभा चुनाव संभावित हैं । दिल्ली से आलाकमान द्वारा पार्टी के वरिष्ठ नेता रणदीप सूरजावाला को जयपुर भेजे जाने के समाचार मिले हैं । वह विधायकों एवं समर्थकों के साथ बैठक करेंगे । राज्य-सभा चुनाव से पहले दल विशेष द्वारा अपने विधायकों और समर्थकों की बैठक लिया जाना स्वाभाविक है और जरूरी भी है । समर्थकों के बागी होने की संभावना बनी रहती है । यूँ कि किस्सा कुर्सी का है । मध्य-प्रदेश की राजनीतिक घटनाक्रम कांग्रेस के लिये एक सबक है । किसी ने ठीक ही कहा है कि दूध का जला फूक-फूक कर कदम रखता है ।
भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक हल-चल आम है विचारणीय है तो बस वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमणकाल में पासों की बिसात पर चमकती राजनीति.....