उड़ीसा एवं वेस्ट बंगाल में जारी है तबाही का मंजर । बवंडर एवं भयंकर बारिश से चरमरा गई है प्रशासनिक व्यवस्था । मार्ग हुए अवरूद्ध ठप हुई संचार व्यवस्था । स्वयं प्रधान-मंत्री नरेंद्र भाई मोदी लेने पहुँचे संज्ञान और की वेस्ट बंगाल की मुख्य-मंत्री ममता बेनर्जी से मुलाकात ।
क्षेत्रीय मौसम विभाग के अनुसार 20 नवंबर को दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर भूस्खलन चालू हुआ और साड़े चार घंटे तक चला । याने कि सात बजे समाप्त हुआ । समुद्री किनारों पर हवा का दबाव 150 -160 किलोमीटर प्रति घंटा एवं कोलेकता में हवा का दबाव 112 किलोमीटर दर्ज हुआ । बवंडर का ज्यादा असर दक्षिण परगना में दिखाई दिया सागर द्वीप के पास के रिहायशी इलाकों में भूस्खलन के समाचार मिले हैं ।
उड़ीसा के जिले भी बवंडर से प्रभावित हुए हैं । बालासौर,भदरक,केंद्रपाड़ा,जाजपुर एवं मयूर भंज । दामरा में हवा का दबाव 120 किलोमीटर प्रतिघंटा,पारादीप में में 106 किलोमीटर प्रतिघंटा एवं बालासौर में 91 किलोमीटर प्रतिघंटा दर्ज हुआ । विशेषज्ञों का मानना है कि बवंडर का दबाव 2019 एवं 2009 से ज्यादा था ।
सूत्रों के अनुसार बवंडर से पूरे वेस्ट बंगाल एवं उड़ीसा में भारी नुकसान पहुँचा है । लगभग 6 लाख 58 हजार लोगों को विस्थापित किया गया है जिनमें से 5 लाख वेस्ट बंगाल के हैं । बवंडर से मरने वालों का आंकड़ा 72 पार कर गया है ।
केंद्र ने बवंडर ग्रस्त इलाकों के लिये वेस्ट बंगाल को 1000 करोड़ एवं उड़ीसा को 1500 करोड़ की राहत राशि दिये जाने की घोषणा की है । एनडीआरएफ द्वारा स्थाननीय प्रशासन की मदद से जलभराव एवं प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य जारी है ।
निरंतर बारिश वा बवंडर के चलते जलभराव एवं भूस्खलन स्वाभाविक हैं ,विचारणीय है तो बस इन प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली जान-माल की क्षति । कहीं न कहीं जरूरी है इनसे निपटने के लिये राज्य एवं केंद्र सरकारों द्वारा सुलझी हुई नीति के तहत रूपरेखा...