ट्रेक्टर मार्च ने लिया आक्रमक रूख । ऐन गणतंत्र दिवस के दिन जब राजपथ से परेड निकल रही थी, तीन कृषि बिल को खारिज किये जाने की माँग को लेकर निकाली जा रही किसानों द्वारा ट्रेक्टर रैली में शामिल बलवाइयों ने दिल्ली के कई इलाकों में मचाया तांडव । जमकर हुई तोड़-फोड़ एवं पत्थरबाजी ।
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सोची समझी साजिश के तहत पुलिस द्वारा निर्धारित मार्ग से जुड़े हए मघ्य मार्गों पर लगाये गये बेरिकेटों को ट्रेक्टर से तोड़कर बलिवाईयों का हजूम लाल किले एवं आई टीओ पहुँचा । लाल किले पर फहराया अपना झंडा । अन्य स्थानों से भी पत्थरबाजी एवं तोड़-फोड़ के समाचार मिले हैं ।
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किसान नेताओं,पुलिस एवं सियासतदानों की भूमिका पर लगा प्रश्न चिंह । किसान नेता कहकर झाड़ा जिम्मेवारी से पल्ला किसान आंदोलन अब हाईजेक हो गया है । बलवा करने वाले किसान नहीं । रही बात पुलिस कि तो हुकमरानों के आदेश के बिना नो लाठी चार्ज नो आशु गैस । चाहें बलवाई पत्थर मारकर घायल करें या ट्रेक्टर से कुचलने की कोशिश ।
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तेज रफतार से चलता हुआ ट्रेक्टर बेरेकेट से टकराकर पलट जाता है और उसमें सवार किसान रूपी बलवाई की मौत हो जाती है । जुड़ जाता है एक और नाम शाहदत की लिस्ट में । बेकाबू बलवाइयों को रोकने की कोशिश में 394 से भी अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए । कुछ एक की हालत गंभीर है ।
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मौजूदा परिप्रेक्ष्य के मध्य-नजर जेहन में हैं बहुत से सवाल लाल किले पर फहराया गया झंडा किसका है ? बलवाइयो ने लाल किला ही क्यों चुना ? आखिर लाल किले मे झंडा फहराकर क्या साबित करना चाहते हैं यह बालवाई ?
राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का सवाल होने से अब जरूरी हो गया है सियासतदानों के लिये बलवाइयों से सख्ति से निपटना.....