किसानों से प्रघान-मंत्री नरेंद्र भाई मोदी की मुलाकात के लिये 3 दिसंबर का दिन मुकरर होने के बावजूद आखिर क्यों दिखाई दे रही है पंजाब-हरियाणा के किसानों में दिल्ली में पहुँचने की उतावली ? सिंधू बार्डर पर पुलिस के साथ जोर अजमाइश करने वाले क्या वास्तव में किसान थे या फिर किसानी का जामा ओढ़े अढ़ातियों एवं जमींदारों के नुमाइंदे ? जेहन में बहुत से सवाल हैं जिनका खुलासा होना अभी बाकी है ।
प्रदर्शन कर रहे इन किसानों को विपक्ष का समर्थन प्राप्त है । हरसूल बार्डर पर एकत्रित प्रदर्शनकारियों के खाने की व्यवस्था दिल्ली की 9 मस्जिदों द्वारा की जा रही है । हालांकि सोनिपत के मशहूर अमरीक सुखदेव ढ़ाबे द्वारा भी प्रदर्शनकारी किसानों को खाने-पीने का निःशुल्क मुहैया कराया जा रहा है । एनआरसी एवं सीएए के खिलाफ शाहीन बाग में धरने पर बैठी महिलाओं के खाने की व्यवस्था बब्बर खलसा ग्रुप ने की थी ।
पहले सीएए एवं एनआरसी के मामले में और अब किसान जन-आंदोलन के लिये आखिर क्यों हो गाया है एकत्रित विपक्ष ? कांग्रेस पार्टी ने जहाँ हरसूल बार्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए पुलिस द्वारा प्रेशर पाइप से जल फेंके जाने एवं लाठी चार्ज को दमनकारी बताया है वहीं आम आदमी पार्टी ने पुलिस एवं खुफियातंत्र को धत्ता देकर आम आदमी पार्टी के 9 विधायकों द्वारा उनके पंजाब के प्रभारी जरनैल सिंह के नेतृत्व में प्रधान-मंत्री आवास पर हल्ला बोलने का दावा किया है ।
हालांकि केंद्र सरकार का दावा है कि संसद द्वारा पारित यह बिल बिचैलियों एवं अढ़तियों की मोनोपली तोड़कर किसानों को वाजिब एवं उचित दामों पर दामों पर फसल बेचने की स्वतंत्रता देते हैं । प्रधान-मंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने भी बनारस में आज अपने भाषण में कृषि बिल का उल्लेख किया है तथा किसानों से फिरकापरस्तों से सावधान रहने की ताकीद की है । पंजाब में विधान-सभा चुनाव संभावित हैं । कहीं यह मामला किस्सा कुर्सी का तो नहीं .....