दिल्ली: इस साल अब तक में 259 गाड़िया चोरी हो चुकी है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 52 प्रतिशत अधिक है। रिहायशी क्षेत्रों, सार्वजनिक क्षेत्रों, पेट्रोल पंप, पार्क यहां तक कि स्कूल के सामने से वाहनों की चोरी होने पर पुलिस अपनी लाचारी जाहिर करते हुए पहले तो वाहन चोरी की एफआईआर दर्ज नही करती । यदि एफआईआर दर्ज होती भी है तो वैज्ञानिक तरीके से जांच न हो पाने के कारण केस बंद करने पड़ते है। क्योंकि पुलिस का रवैया रहता है कि प्रभावित लोगों को इंशोरेंस से क्लेम तो मिल ही जाता इसलिए पुलिस वाहन चोरी के मामलों को संवेदनशीलता से जांच न करके अपना पीछा छुडाते है।आय दिन वाहन चोरी पर चिंता व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने बताया कि मंहगी गाड़ियां, ई-रिक्शा, ऑटो, दुपहिया आदि वाहनों को चोरी करने में बड़े-बड़े गिरोह सक्रिय है। दिल्ली पुलिस का एंटी ऑटो स्क्वायड दस्ता भी राजधानी में बढ़ते वाहन चोरी के मामलों को रोकने में नाकाम साबित हो रहा है। रोहिणी, पश्चिम विहार, अशोक विहार, डिफेंस कॉलोनी, ग्रैटर कैलाश प्रीत विहा, मालवीय नगर सहित जनकपुरी जैसे इलाकों में वाहन चोरी की घटनाएं अधिक हो रही है जिन पर अंकुश लगाने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है।
राजधानी में बढ़ते क्राईम को रोकने में जहां पुलिस नाकाम साबित हो रही है वहीं वाहन चोरी, झपटमारी और खुलेआम महिला अपराध के बढ़ने में पिछली आम आदमी पार्टी की सरकार भी मौजूदा भाजपा सरकार के साथ बराबर की जिम्मेदार है। मौजूदा समय में 70 विधानसभाओं में लगे 2.64 लाख सीसीटीवी कैमरों में से 32 हजार सीसीटीवी कैमरे काम नही कर रहे है, जबकि गहन जांच हो तो यह आंकड़ा लाख से भी उपर पहुॅच सकता है। श्री यादव ने कहा कि राजधानी में वाहन चोरी के मामलों के आरोपी न पकड़े जाने में सीसीटीवी कैमरो का काम न करना भी जिम्मेदार है।