दिल्ली: हाइड्रोजन बंब के नाम पर लोकसभा के नेता विपक्ष एवं कांग्रेस के शीर्षस्थ नेता ने एक बार फिर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को कटघरे में पहले मतदाता सूची में अवैध तरीके से मतदाताओं का जोड़ा जाना और अब मतदाताओं के नामों को काटा जाना । उनका कहना है कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी वोट चोरों को बचाव कर रहें हैं इसके उनके पास अकल्पनीय प्रमाण हैं । अपनी इस मुहिम को उन्होंने नाम दिया है वोट काटने की फैक्टरी । कर्नाटक के आलंद एवं महाराष्ट्र के राजोरा विधान सभा सीट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि एक जगह 6018 और दूसरी जगह 6850 वोटों को असंवैधानिक रूप से डिलीट करने का प्रयास किया गया । आलंद में यह प्रयास 10 बूथों पर किया गया जहाँ पर कांग्रेस का दबाव था जिनमें से 8 बूथों पर कांग्रेस 2018 के चुनावों में विजयी हुई थी ।
उनका कहना है कि कर्नाटक की सीआईडी ने इस बाबत प्राथमिकी दर्ज कर मुख्य निर्वाचन आयोग को 18 महीनों में 18 खातों के माध्यम से साक्ष्य तलब किये थे लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला । उन्होंने माँग की है कि चुनाव आयोग एक हफ्ते के अंदर कर्नाटक की सीआईडी को माँगे गये साक्ष्य उपलब्ध कराए । हालांकि चुनाव आयोग ने यह स्पष्टीकरण दिया है कि किसी भी वोट को ऑनलाइन काटा नहीं जा सकता । वोट काटने से पहले मतदाता से स्पष्टीकरण मांगा जाता है एवं वैधानिनिक प्रक्रिया का अनुपालन कर वोटर का नाम वोटर लिस्ट से हटाया जाता है । दिलचस्प बात यह है कि आलंद विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी को जीत हासिल हुई थी ।
लोकसभा के नेता विपक्ष के उपरोक्त बयानों को बेबुनियाद बताते हुए पूर्व केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने व्यक्त की तीखी प्रतिक्रिया कहा कि नेता विपक्ष के नेतृत्व में कांग्रेस 90 बार चुनाव हारी है । हर बार बचाव के लिए नया बहाना । कभी ईवीएम तो कभी एसआईआर और अब वोटर लिस्ट में बदलाव का मुद्दा । इन्हीं के द्वारा लगाये गए आरोपों के सत्यापन की माँग किए जाये तो जवाब नहीं हलफनामा नहीं । कोर्ट से फटकार और फिर माफ़ी । 2023 में इस प्रकार की कोशिश करने वालों के मोबाइल नंबर एवं आईपी एड्रेस कर्नाटक की सीआईडी को सौंप दिए गए हैं । उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस शुरू से ध्रुवीकरण एवं तुष्टिकरण की राजनीति करती आई है । छोड़ने आये थे हाइड्रोजन बंब लेकिन निकली फुलझड़ी वो भी निकली फुस ।