दिल्ली: डीटीसी पर सीएजी रिपोर्ट पे विधान सभा में चर्चा के दौरान हुए कई खुलासे । मुख्यमंत्री एवं सत्ता पक्ष के विधायकों ने लगाया पिछली सरकार पर कुप्रबंधन का आरोप । 2015-16 में डीटीसी का घाटा 28263 करोड़ था जो 2021-22 में बढ़कर 65274 करोड़ हो गया । इस दौरान डीटीसी को 14000 करोड़ से भी ज़्यादा परिचालन घटा हुआ है । इस घाटे को पूरा करने के लिए डीटीसी के 39 डीपों में से किसी में भी स्पेस का कमर्शियल यूटिलाइजेशन नहीं हुआ है । पिछले पाँच सालों का आकलन किया जाए तो डीटीसी की देनदारियां 37000 करोड़ हैं । पाँच साल में परिचालन का खर्चा 213 प्रति किलोमीटर से बढ़कर 457 रुपया प्रति किलोमीटर हो गया है । इतना ही नहीं 2015 से लेकर 2023 के बीच बसों की संख्या बढ़ने के बजाय घटी है । 2015 में डीटीसी के पास 4344 बसें थीं जो 2023 में घटकर 3937 रह गई है । केंद्र सरकार से फंड एलोकेशन के बावजूद 2021-22 एवं 2022-23 के दौरान मात्र 300 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी गई ।
इतना ही नहीं इलेक्ट्रॉनिक बसों की डिलीवरी समय पर नहीं होने के लिए ऑपरेटर पर 29.86 करोड़ रुपये का जुर्माना लगना चाहिए था नहीं लिया गया । दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा डीटीसी के कामकाज पर रिपोर्ट पेश की गई रिपोर्ट में उल्लेखित है कि सार्वजनिक परिवहन को लेकर कोई व्यवसायिक योजना तैयार नहीं की गई ना ही घाटे को कम करने के लिए राज्य सरकार के साथ कोई समझौता ज्ञापन हुआ । पूरी की पूरी रिपोर्ट पार्लियामेंट्री एक्शन के समक्ष पेश करने की गुजारिश की गई है । मुख्यमंत्री ने सदन को आश्वासन दिया है कि वह और उनकी सरकार डीटीसी को फिर से ऊर्जावान करेंगे । सदन के अध्यक्ष विजेंद गुप्ता ने रिपोर्ट को कमेटी फॉर गवर्नमेंट बॉडीज के अवलोकन के लिए भेजे जाने के निर्देश दिये हैं । कमेटी को तीन महीने के अंदर ऑब्जरवेशन रिपोर्ट तैयार करने का समय दिया गया है ।