सिंह साहिबानों की नियुक्ति की प्रक्रिया मास्टर तारा सिंह एवं अन्य नेताओं की देंन है : सरना
दिल्ली: पंथ रत्न मास्टर तारा सिंह जी पंथ की वह हस्ती हैं जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी सिख कौम की निरस्वार्थ सेवा में व्यतीत की। वह श्री अकाली दल के लंबे समय तक प्रधान रहे और श्री गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के भी प्रधान रहे। उनके पंथ के प्रति योगदान का कोई मोल नहीं लगाया जा सकता। शिरोमणि अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि लेकिन उनकी पोती बीबी किरणजोत कौर ने, जो खुद को मास्टर तारा सिंह जी की वारिस बताती हैं, सिंह साहिबानों की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए यह दावा किया है कि चालीस मेंबर उनके पक्ष में हैं। वह बीबी जी को यह याद दिलाना चाहता हूं कि जिस विधि के तहत पिछली एक सदी से सिंह साहिबानों की नियुक्ति होती आ रही है, वह मास्टर तारा सिंह जी और उनके जैसे अन्य सिख नेताओं की देन है। इसलिए, जो लोग खुद को मास्टर जी का वारिस मानते हैं, उन्हें इस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए। यह बात उस व्यक्ति के लिए है, जो किसी भी रूप में सिंह साहिबान के सम्मानित रुतबे के बिल्कुल योग्य नहीं है।
प्रदेश अध्यक्ष के अनुसार विभिन्न अवसरों पर उन्हें मास्टर जी की याद में कार्यक्रम आयोजित करने का सौभाग्य मिला, लेकिन दोनों बार बीबी जी ने अपने नानाजी की याद में आना उचित नहीं समझा। इनमें से एक अवसर वह था, जब दिल्ली में मास्टर जी की मूर्ति हमारे प्रयासों से श्री मदन लाल खुराना द्वारा स्थापित की गई थी। तो जिस बीबी ने अपने नानाजी की याद में आना उचित नहीं समझा, वह दूसरे की कैसे हो सकती हैं? उन्हें बीबी किरणजोत कौर के सम्माननीय माता जी के साथ भी काम करने का अवसर मिला है और वह दावे के साथ कह सकता हैं कि बीबी जी न तो अपने नानाजी के रास्ते पर चली हैं और न ही अपनी माता जी के। इसलिए, बीबी जी को अपनी राजनीति करने का अधिकार है, लेकिन अपने आप को अपने नानाजी की वारिस कहने का कोई हक नहीं है।
यह बातें वह बहुत समय से साझा करना चाहता थे , और आज बीबी जी के बयान के कारण वह इसे साझा कर रहे हैं , जिसमें बीबी जी ने आपने चालीस मेंबरों का दावा किया है। इसका फैसला समय करेगा कि कितने सदस्य पंथ की चढ़दी कला के लिए खड़े होते हैं और कितने पंथ विरोधी ताकतों के साथ खड़े होंगे। लेकिन एक बात पक्की है कि जीत गुरु साहिब की कृपा से सत्य ही होगी।
11:44 am 27/03/2025