दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में मैन्यूल सीवर की सफाई होना सरकार की सबसे बड़ी विफलता है प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने साधा निशाना कहा कि न्यू फ्रेंडस कालोनी में मैन्यूल सीवर सफाई करते हुए पंथ लाल की मौत हुई और राम किशन व शिवदास की हालत गंभीर है परंतु दिल्ली जल बोर्ड द्वारा यह कह कर पल्ला झाड़ना कि यह अनाधिकृत तौर पर मैनहोल में उतरे और यह दिल्ली जल बोर्ड के स्थाई और संविदा कर्मचारी नही है, पूरी तरह असंवेदनशील और मानवता के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि दिल्ली कांग्रेस मांग करती है कि पंथ लाल की मौत और गंभीर रुप से घायल कर्मचारियों को मुआवजा देने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता स्वयं हस्तक्षेप करें।
यह चिंताजनक है कि करोड़ों रुपये मशीनों द्वारा सीवर सफाई के नाम पर खर्च होने के बावजूद राजधानी में सीवर की मैन्यूल सफाई होती है जिसमें निर्दोष लोगों की मौत होती है। जबकि सीवरों की मशीनीकृत सफाई के लिए पेशेवर प्रशिक्षित लोगों द्वारा की जानी चाहिए जो नगर पालिका और संबधित विभाग की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड के अनुबंधित कांट्रेक्टर द्वारा सीवर सफाई का काम किया जा रहा था, जिसकी पूरी जिम्मेदारी दिल्ली जल बोर्ड की है। यह अत्यंत गंभीर है कि बिना सुरक्षा उपकरणों के यह लोग सीवर की सफाई करने उतरे। जब काम का ठेका दिल्ली जल बोर्ड ने दिया तो यह जिम्मेदारी भी दिल्ली जल बोर्ड की है कि कैसे बिना सुरक्षा उपकरणों के लोग सीवर में सफाई के लिए उतरे?
उनका कहना है कि 15 वर्ष निगम की सत्ता में रही, 11 वर्षों से केन्द्र में है और दिल्ली में भाजपा की नवनिर्मित सरकार बनाई है। भाजपा हमेशा गरीबों, दलितों और वंचितों के हितों का संरक्षण करने के मामले में कभी संवेदनशील नही रही है। यह सर्वमान्य है कि सफाई के काम में अधिकतर गरीब, दलित और वंचित वर्ग जुड़ा हुआ है और भाजपा हमेशा गरीब विरोधी नीति पर काम करती है। राजधानी में पिछले 15 वर्षों में मैन्यूल सीवर सफाई करने वाले 94 लोगों की मृत्यु होना बहुत गंभीर है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता कर्मचारियों प्रतिषेध अधिनियम 2013 को लागू करने और उनका पुनर्वास करने में दोनों ही पार्टियां असफल रही हैं।