चीन द्वारा पैदा की गई एलओसी पर तनावपूर्ण स्थिति महज एक इतफाक या फिर है एक सोची समझी साजिश के तहत वैश्विक महामारी कोविद 19 में हुई अपनी धूमिल हुई छवि से ध्यान भटकाना । चीन के बने उत्पाद के दुनिया भर के देशों द्वारा बहिष्कार किये जाने से चीन में आर्थिक मंदी की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता ।
गौर फरमाने की बात यह है कि चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस संक्रमण जिसे कोविद 19 के नाम से भी जाना जाता है,ने आज वैश्विक महामारी का रूप ले लिया है । इस वायरस के संक्रमण का आंकड़ा 86,29,305 पार हो गया है और इसके संक्रमण से मरने वालों की संख्या 4,58,706 है । दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश हो जो इस महामारी से ना जूझ रहा हो ।
खुद चीन में ही शुरूआती दौर में संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा गैर अधिकारिक तौर पर 1000 के पार था । अब तक चीन में कुल मिलाकर संक्रमण से 4634 मौतें हुई हैं । और यहाँ संक्रमण की दर एक मिलयन पर 59 है । जो कि अन्य देशों के मुकाबले में बहुत कम है । भारत में कोरोना संक्रमण से अब तक 12948 मौते हुई जबकि भारत में संक्रमण शुरूआत चीन से तीन महीने बाद हुई थी ।
अब चीन की योजना पाकिस्तान और नेपाल के सहयोग से सीमा पर भारत पर दबाव डलवाना है । पाकिस्तान तो पाकिस्तान नेपाल के सैनिकों द्वारा सीमा पर गोलाबारी के समाचार मिले थे । हाल ही में लद्दाख की गलवान घाटी में एलओसी में हुई भारत चीन की मुठभेड़ में भारत के 20 जवान फर्ज को अंजाम देते हुए शहीद हुए एवं 76 घायल हुए । यह लड़ाई हथियारो से नहीं चीन द्वारा कटिली तारों से लिपटे हुए डंडों से दम अजमाइश थी ।
शहीद जवानों में 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अफिसर करनल बी संतोष बाबू सहित 1 मेजर,2 केपटन,4 लेफटिनेंट सहित अन्य रेंक के जवान शामिल हैं । जवानों को श्रद्धांजली के साथ देश में आज हो रहा है टीवी डिबेट एवं मीडिया के बेनर तले बौधिक स्तर पर चिंतन । हाल ही में विदेशी पत्रकार क्लब साउथ एशिया द्वारा आयोजित एक वेबनार में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं हारवर्ड युनिवर्सिटी में प्रोफेसर रह चुके डा. सुब्रमणियम स्वामि का मत है कि चीन द्वारा एलओसी पर अतिक्रमण को बिना युद्ध के हटाया जाना असंभव है ।
सर्वदलिय बैठक के बाद प्रधान-मंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने दिया सेना को फ्री हेंड । अब सेना कर सकेगी स्थिति के अनुसार । मंथन के इस दौर में भी देश के एक बड़े राजनीतिक खेमें में अब भी छाई है खामोशी । सैनिकों की शाहदत पर शोक सभा का आयोजन तो होता है परंतु जब बात चीन या पाकिस्तान की आती है सेन्य कार्यवाही के सबूत माँगे जाते हैं या फिर अपना लिया जाता है उदासीन रवैया ।
चीन द्वारा सीमाओं के अतिक्रमण के मध्यनजर अंतरराष्ट्रिय राजनतिक दबाव के साथ जरूरी है बलपूर्वक वापिस खदेड़ा जाना । युद्ध की संभावनाओं से भी इंकार नहीं किया जा सकता.....