दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा देश में मैनुअल स्कैवेंजर्स के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम 2013 हाथ से मैला निकालने की प्रथा पर प्रतिबंध लगाता है परंतु मैनुअल स्क्वैंजिंग का अमानवीय कार्य सरकार की देखरेख में हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक के बावजूद राजधानी दिल्ली में सीवर की मैनुअल सफाई के कारण दो दिन पहले भी अशोक विहार में सीवर की सफाई करते हुए 40 वर्षीय अरविन्द की मौत हो गई और 3 अन्य कर्मचारी अपनी जिंदगी से लड़ रहे है। कांग्रेस की यूपीए सरकार द्वारा मैन्युअल स्क्वैंजिंग पर प्रतिबंध का कानून बनाने के बावजूद पिछली आम आदमी पार्टी और दिल्ली में मौजूदा भाजपा सरकार इस पर रोक लगाने और मैनुअल स्क्वैंजिंग से होने वाली मौतों को रोकने में पूरी तरह फेल साबित हुई है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के ठीक बाहर सफाई कर्मचारियों द्वारा सीवर की हाथ से सफाई करने पर चिंता जताते हुए दिल्ली सरकार को लताड़ लगाई है और पीडब्ल्यूडी विभाग पर 5 लाख का जुर्माना लगाना मैनुअल सीवर की सफाई पर एक सांकेतिक कदम है जिस पर दिल्ली सरकार को गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मैनुअल स्क्वैंजिंग के साथ-साथ इससे जुड़े लोगों और नाबालिगों द्वारा काम करने पर भी चिंता जताई कि दिल्ली सरकार सीधा श्रम कानून का उलंघन ही नही कर रहा बल्कि यह संवैधानिक दायित्वों का भी उलंघन है।
खतरनाक मैनुअल स्कैवेंजिंग से होने वाली मौतों से लोगों की जान जा रही है, देश भर में 2019 और 2023 के बीच सीवर और सेप्टिक टैंकों की सफाई करते हुए 377 लोगों की मौत हो गई और राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अनुसार दिल्ली में 2013 से लेकर 2024 के बीच सीवर सफाई से संबंधित 72 से अधिक लोगों की मौत हुई है। उनका कहना है कि इस अमानवीय प्रथा पर रोक न लगने के कारण दलितों, वचिंतो को अपनी अजीविका चलाने के लिए अपनी जिंदगी के साथ खेलना पड़ रहा है और दिल्ली की सरकार इस पर रोक लगाने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।