हमारी युवा पीढी की मानसिक्ता वेक्सीनाइज्ड होती जा रही है और हम लाचार खडे़ मुह ताक रहे हैं उनकी मुखालफत करते अवसरवादियों का । अब लोकतंत्र में विचारों की अभिव्यक्ति तो होगी ही फिर हाथ लात की जोर अजमाहश से गुरेज कयों आखिर वो भी तो इसी लोकतंत्र का हिस्सा है । कुल मिलाके मनमानी की राजनीति । जब राष्ट्रवाद पर व्यक्तिवाद हावी हो जायेगाा और विचारों की अभिव्यक्ति बेलगाम हो जायेगी तो हाथ और मुह की जोर अजमाइश भी क्यों भी कहां पीछे रहेगी ।लीपा-पोती की राजनीति के चलते लचर हो प्रशासनिक व्यवस्था । कुछ न्यायपालिका वा कार्यपालिका खुद-बा-खुद डिफयूज्ड हो जाती है ।
जीता-जागता उदाहरण है जे.एन.यू. में संसद पर हमले के प्रमुख आरोपी अफजल गुरु के बर्सी समारोह के दौरान जमकर हुई राष्ट्र विरोधी नारे बाजी । आरोपियों की धड-पकड़ के साथ गर्म हुआ राजनीति का तंदूर और शिक्षा का केंद्र कहलाने वाला जे.एन.यू. बन गया राजनीति का अखाड़ा । चंद पलों में मुख्य आरोपी जे.एन.यू. स्टूडेंट यूनियन का अध्यक्ष कनहिया कुमार बन गया राष्ट्रीय हीरो । समर्थन में कूद पड़े कां ग्रेस और उसके सहयोगी वाम-पंथी दल ।
गौर फरमाने की बात यह है कि जे.एन.यू. शुरु से ही वाम पंथी संगठनों का गढ रहा है और इस प्रकार की गतिविधियां आम हैं । वैसे तो मुखालफतियों की लिस्ट लंबी है । पैरवी में हैं राहुल गांधी,सीताराम येंचुरी,डी.राजा.अजय माखन, वृदा कारंत सहित राजनीति के मैदान के कई जाने माने दिग्गज । दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने तो आनन फानन में विडियो क्लिप की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश तक दे डाले जबकी मामला पहले से ही पटियाला कोर्ट में विचाराधीन था ।
इतना ही नहीं कनहिया कुमार के समर्थन में विभिन्न विश्वविदयालयों के छात्र और शिक्षक युनियन मैदान में हैं और मानव अधिकार और विदेशी संगठनों के साथ मिलकर निरंतर दबाव बनाये हैं । टकराव की स्थिति में छुट-पुट हाथा-पाई जिसमें वकील बनाम छात्र बनाम नेता बनाम पत्रकार से भी इनकार नहीं किया जा सकता । माकूल सुरक्षा के घेरे में होने के बावजूद अभियुक्त पर एक दो की हाथ सफाई और बचाव में एक दो पुलिस कर्मी के साथ बदसलूकी की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता ।
हरियाणा में भी जाट आंदोलन के चलते चरमरा गई है प्रशासनिक व्यवस्था हिंसा का दौर जा रही है । केंद्र सरकार की तरफ से भी जारी है माकूल कोशिश । जमानत की प्रक्रिया जारी है और मौजूदा हालात के चलते कनहिया कुमार आज नही तो कल जमानत तो मिल ही जायेगी । हो सकता है आने वाले समय में कनहिया कुमार एक बहुबली नेता के रुप में उभरें । चुनौती बन सकती है देश के लिए वेक्सीजाहज्ड मानसिकता और हिसात्मक प्रवृति । क्या फरक पड़ता है सरकार बी.जे.पी. हो या कांग्रेस की । आंदोलन छात्रों का हो या फिर जाट समुदाय का । विचारनीय है तो बस समझौते की राजनीति.....