कभी एक दूसरे के कट्टर विरोधी कहे जाने वाले लथैत नेता लालू प्रसाद यादव एवं बिहार के भूतपूर्व मुख्य मंत्री नितिश की जुगलबंदी ने भले ही पूर्वांचल याने कि बिहार और झारखंड के राजनीतिक गलियारे में हलचल मचा दी हो मगर इसकी मियाद क्या होगी ? यह विचारणीय है ।
अब बिहार को ही लीजिए कांग्रेस,आर.जे.डी. और एल.जे.डी. के गठबंधन की 10 में से 6 विधान सभा सीटों पर जीत को क्या माना जाये काम की जीत या फिर लाथी की । जहां तक विकास का सवाल है बिहार को विकास के लिए तीसरे राज्य का दर्जा दिलाने का श्रेय अगर जाता है तो नितिश को और जहां तक लथ्थबाजी की बात है तो लालू शिरोधार्य हैं । खैर जीत का कारण जो भी हो भा.ज.पा. की तो मानो जैसे ही उड़ गई और कांगेस के जख्मों पर लग गई है मरहम ।
यह बात तो तय है कि भा.ज.पा. की आम जनता पर पकड़ ढ़ीली होती जा रही है । कहीं न कहीं अंदर ही अंदर आम आदमी है खफा । बेलगाम मंहगाई की मार । खामियाजा तो भुगतना ही पडे़गा । पहले बिहार फिर झारखंड,यू.पीं, महाराष्ट्रा और बाद में दिल्ली । पिक्चर अभी बाकी है......