आखिर 492 साल बाद राम लला को एक बार फिर मिला इनका घर । जी हम बात कर रहे हैं अयोध्या स्थित राम जन्म भूमि की जिसे बाबर द्वारा 1525 में तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी एवं मुस्लिम समाज में बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता है ।
प्रधान-मंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंचालक डा मोहन भागवत, उत्तर-प्रदेश के मुख्य-मंत्री योगी आदित्य नाथ एवं साधु संतों की मौजूदगी में किया रखी शिला एवं संपन्न हुआ भूमि पूजन ।
नक्शा तैयार होने के बाद शुरू होगी मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया । राम लला को जल्द ही मिलेगा उनका घर साथ ही अयोध्या को मिलेगा का नया स्वरूप । सुप्रिम कोर्ट द्वारा 70 साल से लंबित मामले पर दिये ऐतिहासिक फैसले के बाद राम जन्म भूमि को स्वरूप दिये जाने का यह पहला चरण है ।
फिलहाल राम जन्म भूमि से लगभग दो किलोमीटर स्थित राम जन्म भूमि कार्यशाला में पत्थरो को तराशने का काम पुरजोरों पर है । मंदिर के निर्माण में लगभग 35000 घनफुट पत्थरों की खपत अनुमानित है । यह कार्यशाला राम जन्म भूमि न्यास द्वारा संचालित है ।
राम मंदिर के निर्माण में राजस्थान के बंसीपुर से लाये गये पत्थरों की औसतन आयु को 1000 साल आंका गया है । 1000 साल तक इन पत्थरों की गुणवता में कोई फरक नहीं पड़ेगा । पूर्व निर्घारित ढ़ाँचे से वास्तिविक ढ़ाँचे का आकार दुगना होगा गर्भ गृह के ऊपर अब शिखर होगी पहले के दो गुंबद की योजना के बजाय अब 5 गुंबद होंगे ।
मंदिर की ऊँचाई भी अब पहले की निर्धारित से अधिक याने कि 161 फिट होगी । भवन निर्माण की शैली उत्तर भारत पर आधारित नगारा स्टाइल होगी । निर्माण कार्य शुरू होने के बाद मंदिर के निर्माण में 3 से 3.5 साल लग जायेंगे । फिलहाल अयोध्या ही नहीं पूरे देश में जश्न का माहौल है ।
इन सबके बीच नहीं भुलाया जा सकता इस मुहिम को जीवंत रखने में विश्व हिंदू परिषद की स्वर्गीय अशोक सिंघल की भूमिका एवं कोठारी बंधुओं के बलिदान को.....