भारी संख्या में महानगरों से हो रहे प्रवासी मजदूरों के पलायन को लेकर कांग्रेस ने उठाये सवाल एवं की कोविड 19 के संक्रमण के दौरान छाई मंदी के मध्य-नजर प्रवासी मजदूरों एवं जरूरतमंद गरीबों के विस्थापन संबंधी राष्ट्र व्यापी नीति की माँग ।
हालांकि प्रधान-मंत्री नरेंद्र भाई मोदी द्वारा दिये गये अपने राष्ट्र के नाम संदेश में पुख्ता इंतेजामात का दावा करते हुए जहाँ हैं वहीं पर रहने की ताकीद की थी । राज्य सरकारों द्वारा भी माकूल इंतेजामात की संकेत मिलते रहे हैं । मकान मालिकों से भी अपने यहाँ रह रहे प्रवासी मजदूरों से भाड़ा न लेने की ताकीद की थी ।
स्कूलों को आश्रय गृह में तब्दील कर दिया गया एवं सरकारी तंत्र के साथ धार्मिक एवं सामाजिक संस्थानों जिनके साथ औद्योगिक एवं राजनीतिक दल भी शामिल हैं ने जरूरतमंदों के लिये भोजन व्यवस्था की । कई जगह सूखे राशन वितरण के भी संकेत मिले हैं ।
तमाम इंतेजामात के बावजूद प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है । ऐसा क्या है कि वो अपनी जान की परवाह किये बिना अपने गाँव जाने के लिये मीलों का सफर पेदल ही तय करने के लिये झुंड बना कर निकल लिये ।
कभी दिल्ली के आनंद विहार बस अडडे तो कभी मुंबई के बांद्रा स्टेशन के बाहर प्रवासियों का भारी तादाद में जमवाड़ा पिछले दिनों नजर आया । इतना ही नहीं सिमेंट मिक्सर में छिपकर लखनउ जा रहे 18 प्रवासियों को इंदोर में बाहर निकाला गया ।
रेल की पटरियों के किनारे मीलों तक पैदल चलना फिर थककर रेलवे लाइन पर सो जाना । हाल ही ओरंगाबाद में माल गाड़ी के नीचे पटरियों में सोये कुछ मजदूर के कुचले जाने का मामला मीडिया की सुर्खियों में नजर आया ।
हालांकि प्रधान मंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये 20 लाख करोड़ रूप्ये के पेकेज का ऐलाान किया है जो कि जीडीपी का लगभग 10 प्रतिशत है । प्रधान मंत्री राज्यों के मुख्य मंत्रियों के साथ निरंतर संपर्क में हैं ।
माकूल इंतेजामात एवं तमाम कवायदों के बावजूद प्रवासी मजदूरों के पलायन के मध्यनजर सियासतदानों के लिये अब जरूरी है, मौजूदा रूपरेखा का पुनः मुल्यांकन एवं पूर्ण बंदी के दौरान एवं बाद में सुलझी हुई विस्थापन नीति...