हम सीमा के उस पार कोविड 19 के संक्रमण के प्रकोप से निपटने के लिये जीवन रक्षक दवाइयाँ भेजते हैं । बदले में सीमा के उस पार से भेजे जाते हैं आतंकवादी । हमने उन्हें अपनाने के लिये हटाई जम्मू कशमीर से 370 लेकिन आज भी वहाँ पर सक्रिय हैं जिहाद के नाम पर अलगाववादी गतिविधियाँ ।
देश भर में सबसे सस्ता खाने का अनाज एवं रियायतों के पुलिंदे के बावजूद कहीं न कहीं झलक जाता है अलगाववाद । घर एवं धार्मिक स्थल बन जाते हैं आंतकवादियों के ठिकाने ।
सियासत एवं आवाम के बीच की कशमकश के बीच चपेटे में आते हैं स्थिति पर काबू पाने के लिये गये अर्ध सैनिक बल एवं पुलिस के जवान । मुठभेड़ में मारे गये जवानों की मौत को शाहदत का जामा पहनाकर कुछ दिन माहौल गर्म । उसके बाद सियासी बजार ठंडा ।
बाटला हाउस एंकाउंटर में ढे़र हुए आतंकवादियों के लिये टसुवे बहाने वाले राजनीतिज्ञ एवं संसद पर हुए हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरू की फाँसी की मुखालफत करने वाले खेमें में नजर आती है वही चिरपरिचत खामोशी ।
विचारणीय है तो बस जिहादियों के फितूर के मध्य-नजर सैन्य-अर्ध सैनिक बलों के जवानों की कुर्बान जिंदगियाँ और इनके बीच सिसकती हुई दो आँखें ...