चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग का महाबलीपुरम में प्रधान-मंत्री नरेंद्र भाई मोदी ने किया स्वागत बड़ी गर्म-जोशी से । जाहिर है दोनो ही देशों के महानायकों के बीच विभिन्न मसलों पर हुई बातचीत का फायदा आगे चलकर दोनों ही महाशक्तियों को मिलने वाला है ।
दो दिन के दौरे के दौरान हुई बैठकों में कश्मीर पर चर्चा ना होने से एक बार फिर हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हाथ लगी मायूसी । प्रधान-मंत्री नरेंद्र भाई मोदी के साड़े पाँच साल के शासन काल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि तो उभरी है लेकिन कहीं ना कहीं देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है ।
विपक्ष का मानना है कि आर्थिक मंदी मौजूदा सरकार की नीतियों का परिणाम है । उन्होने मंदी के इस दौर का ठीकरा नोट-बंदी एवं जीएसटी पर फोड़ा । कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष राहुल गाँधी ने तो जीएसटी को गब्बर सिंह टेक्स का दर्जा दे डाला ।
कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय में हुई प्रेस वार्ताओं में पार्टी के प्रवक्ताओं एवं प्रोफेसर गोरव वल्लभ द्वारा किये गये समय समय पर खुलासों के अनुसार देश का सकल घरेलू उत्पाद गिरकर 5.8 हो गया है । मार्किट में अनियमितता और सरकार की नीतियों के कारण ट्रस्ट डेफिस्येट इन इंडियन बेंकिंग सिस्टम बढ़ रहा है और औद्योगिक वयवस्था चरमरा गई है ।
हाल ही में हारवर्ड एवं आईएमएस की एक संयुक्त स्टडी का हवाला देते हुए प्रोफेसर वल्लभ ने बताया कि नोटबंदी के बाद देश की जीडीपी में,देश की इकोनोमिक इक्विटी में 3 प्रतीशत की गिरावट आई है । अनओरगनाईज्ड सेक्टर लगभग खत्म हो गया है और बेकारी का आंकड़ा हर महीने दुगना होता जा रहा है ।
2013-14 से 2018-19 में पबिलक सेक्टर के एनपीए लोन के राइट आफ पाँच गुना ज्यादा है । कहीं ना कहीं इसका असर आर्थिक व्यवस्था पर पड़ता है । पार्टी के प्रवक्ताओं ने पंजाब महाराष्ट्र कोपरेटिव बैंक में चल रही अनियमितताओं का हवाला देते हुए बताया कि इस बैंक ने अपने सालाना लोन वितरण का 73 प्रतिशत हिस्सा एचडीआईएल को दिया है और सरकार आँख मूँदे है ।आटोमोबाइल छेत्र की बड़ी कंपनियों में महीने में दस दिन शट डाउन है । वल्र्ड इकोनोमिक रिफार्म के अनुसार भारत का दर्जा 58 से गिरकर 68 हो गया है ।
यदि आंकड़ो के खेल को देखा जाये तो फिलहाल आर्थिक मंदी का दौर है । रस्सा-कस्सी के इस दौर में कहीं ना कहीं जरूरी है विदेश नीति के साथ सुलझी हुई अर्थनीति और अनुपालन....