हटी धारा 370 मिला जम्मू-कश्मीर को मिला को केंद्र शासित राज्य का दर्जा । कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक लागू हुआ एक ही संविधान । सही मायने अब बना कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा ।
कसी जा सकेगी आतंकवाद वा अलगाववादी ताकतों पर लगाम । महबूबा,अब्दुल्ला वा गिलानी हुए बेहाल । फिलाल तीनो ही हैं नजरबंद । राजनीतिक हल्कों में है उथल-पुथल और जारी है प्रतिक्रियाओं का दौर ।
आजादी के बाद ततकालीन सियासतदानों से हुई एक चूक याने कि धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर को अन्य राज्यों से हटकर मिला हुआ था विशेष राज्य का दर्जा । अलग झंडा, अलग संविधान और विशेष अधिकार ।
राज्य में थी दोहरी नागरिकता । गैर कश्मीरी नागरिक चाहें वह कश्मीरी मूल का हो नहीं खरीद सकता है यहाँ पर प्रोपर्टी । यदि कोई कश्मीरी मूल की महिला किसी गैर कश्मीरी से शादी कर लेती है तो उसकी नागरिक्ता रद्ध ।
स्थाननीेय हुक्मरानो वा सियासतदानों की फिरकापरस्ती के चलते हालात इुए बेहाल , विकास हुआ ठप्प और राज्य बन गया आतंकवादी वा अलगाववादी ताकतों का गढ़ । यहाँ तक कि आपदा की स्थिति में राहत वा सुरक्षा के लिये तैनात जवानों पर पत्थरबाजी ।
जहाँ केंद्र वा जागरूक वर्ग का मानना है कि धारा के हटाये जाने से ही संभव होगा राज्य का समाकेतिक विकास और संभव होगा विषम परिस्थितियों पर नियंत्रण वहीं चंद फिरकापरस्त और असहिष्णुता के पुजारी इसे व्यकितगत स्वतंत्रता का हनन मानते हैं ।
मौजूदा परिस्थितियों एवं मीडिया की सुर्खियों में राजनीतिक प्रतिक्रियाओं के मध्य-नजर प्रधान-मंत्री नरेंद्र भाई मोदी वा गृह मंत्री अमित भाई शाह के साँझा प्रयासों के अंजामों का खुलासा तो समय के साथ हो ही जायेगा । फिलहाल है पड़ोसी मुल्क की हालात नासाज.....