दिल्ली : एमसीडी के शिक्षा विभाग द्वारा जारी अध्यापकों की वरीयता की सूची पर लगाये एमसीडी के नेता विपक्ष एवं आम आदमी पार्टी से निगम पार्षद अंकुश नारंग ने लगाये सवालिया निशान कहा कि मानदंडों को ताक पर रख कर तैयार की गई है यह सूची । यह सूची निगम की वेबसाइट पर उपलब्ध है एवं फाइनलाइजेशन के लिए सुझाव भी मांगे गए हैं । नेता विपक्ष का मानना है कि यह सूची 2002 तक की है एवं इससे पहले वरीयता सूची 1995 में तैयार की गई थी । क्यूंकि वरीयता के आधार पर अध्यापकों का प्रमोशन होता है इसलिए 2002 की लिस्ट में 1995 की लिस्ट को भी मर्ज किया जाना था । एक अध्यापक मुकेश कुमार मीणा जिसने लिखित में दरखास्त की है कि उनकी डेट ऑफ जॉइनिंग 01 अगस्त 2002 है का नाम इस वरीयता सूची में नहीं है । नेता विपक्ष ने सूची में अनियमितताओं का भी खुलासा किया है । एक अध्यापिका जिसका नाम गीता ग्रोवर है जिसकी डेट ऑफ़ जॉइनिंग 14 जुलाई 1995 है का नाम दूसरी अध्यापक विजय कुमार जिनकी डेट ऑफ़ जॉइनिंग 11 जुलाई 1995 है इस वरीयता सूची में ऊपर है । इस प्रकार की बहुत सी अनियमिताओं का खुलासा नेता विपक्ष ने किया । उनका आरोप है कि डाक नंबर के आधार पर सूची बनाई गई है। जिसमें जॉइनिंग की तारीख और जन्म तिथि तो शामिल है, लेकिन डीएसएसबी की मेरिट रैंक नहीं है। अगर किसी की नौकरी 20 तारीख को लगी और जॉइनिंग 21 तारीख को हुई, जबकि किसी अन्य की नौकरी 22 तारीख को मिली और जॉइनिंग 23 तारीख को हुई, लेकिन 23 तारीख को ज्वाइन करने वाली की डाक 24 तारीख को गई और 22 को ज्वाइन करने वाली की डाक 25 तारीख को गई। ऐसे में डाक तारीख के आधार पर वरिष्ठता तय करना गलत है। जॉइनिंग की तारीख के आधार पर वरिष्ठता तय होनी चाहिए, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट और डीओपीटी के आदेश में स्पष्ट है। डाक की रैंक से वरिष्ठता सूची बनाई और डीएसएसबी की रैंक नहीं दिखाई। अपने लोगों को वरिष्ठता में शामिल कराने के लिए अधिकारियों से मिलकर यह सब हो रहा है।
इतना ही नहीं एमसीडी ने 46 शिक्षकों का तबादला किया है। यह तबादला ऑनलाइन होना चाहिए। एमसीडी के शिक्षा विभाग ने बीजेपी से मिलकर ट्रांसफर चाहने वाले अपने खास 23 लोगों को सेट करने के लिए उन शिक्षकों को हटा दिया जो तबादले के लिए आवेदन ही नहीं दिए थे। इन हटाए गए शिक्षकों ने स्पष्ट लिखा था कि उन्होंने तबादले के लिए कोई आवेदन नहीं दिया। बीजेपी ने अपने लोगों को सेट करने के लिए कैंसर से पीड़ित एक शिक्षक का तबादला कर दिया। शिक्षक दर्शना वर्मा स्पॉन्डिलाइटिस की मरीज हैं। उन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ती है। दर्शना वर्मा ने लिखा है कि उनकी रीढ़ लगभग खराब हो चुकी है और 20 जुलाई 2004 को उनके पति का स्वर्गवास हो चुका है, फिर भी उनका तबादला कर दिया गया। यह सब भ्रष्टाचार के लिए और चंद नोटों के लिए किया गया। हाल ही में डिप्टी मेयर ने कहा था कि महिला शिक्षकों का तबादला उनके घर के पास होना चाहिए, लेकिन उन्होंने कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित महिला शिक्षकों का तबादला 30-35 किलोमीटर दूर कर दिया। 15 सितंबर 2023 की मौजूदा तबादला नीति को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने पूछा कि 23 शिक्षकों के तबादले का आधार क्या था? क्या तबादला नीति लागू की गई या ऑनलाइन प्रक्रिया दिखाई गई? उन्होंने इसे भाजपा और शिक्षा विभाग की मिलीभगत करार देते हुए कहा कि यह तबादला भ्रष्टाचार और पैसे लेकर अपने लोगों को सेट करने के लिए किया गया। बताया जा रहा है कि इन 23 तबादलों में 13 लोग भाजपा के और 10 लोग शिक्षा विभाग अधिकारियों के हैं। शिक्षक यूनियन ने धरना-प्रदर्शन किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। नरेला जोन में 6.60 करोड़ रुपए की 60,000 बच्चों की यूनिफॉर्म 10 साल तक गोदाम में धूल फांकती रही। यह यूनिफॉर्म 2013-14 में बीजेपी शासित एमसीडी ने खरीदी थी। इसमें एक जांच कमेटी बनी और उसने 31 मार्च 2025 को शिक्षा निदेशक को अपनी रिपोर्ट सौंपी और 6 जून 2025 को निदेशक ने डिप्टी कमिश्नर को रिपोर्ट भेजी। अभी तक किसी पर कार्रवाई नहीं हुई है। अधिकारियों को बचाया जा रहा है। 6 करोड़ 60 लाख रुपए के आर्थिक नुकसान के लिए जिम्मेदार कौन है। इसका भुगतान कौन करेगा।