पॉवर डिस्कॉम दिवालियेपन की कगार में : वीरेन्द्र सचदेवा
दिल्ली : बिजली अपूर्ति में लगी पावर डिस्कॉम बी.एस.इ.एस. एवं बी.पी.वाइ.एल. में चल रही भारी आर्थिक धांधली के मद्देनजर दिल्ली प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा एवं नई दिल्ली से सांसद सुश्री बांसुरी स्वराज ने इनके खातों की सी.ए.जी अथवा न्यायिक जांच किए जाने पर दिया बल । पॉवर डिस्कॉम में 51% की साझीदार निजी कम्पनियों के साथ ही 49% की साझीदार दिल्ली सरकार की भूमिका भी बराबर की जिम्मेदार है और दोनों ने मिल कर पावर डिस्कॉम को दिवालियापन की कगार पर ला कर खड़ा कर दिया है।
प्रदेश अध्यक्ष के अनुसार दिल्ली मे तीन पावर डिस्कॉम हैं, एन.डी.पी.एल., बी.एस.इ.एस. एवं बी.पी.वाइ.एल और इन तीनों में एक एक निजी कम्पनी एवं दिल्ली सरकार सांझीदार हैं पर इनमे से एक एन.डी.पी.एल. लाभ में चलती है और शेष दो भारी घाटा दिखाती हैं। एन. डी.पी.एल. ने हाल ही में दिल्ली सरकार को वार्षिक लाभ डिविडेंड भी सौंपा है। अजीब विडम्बना है कि तीनों पावर डिस्कॉम एक समान दर पर बिजली बेचती हैं, एक समान सत्रोतों से बिजली खरीदती हैं और एक ही कम्पनी ट्रांसको की तारों के नेटवर्क से बिजली सप्लाई लेती देती हैं फिर भी एक प्रारम्भ से लाभ में चलती है तो शेष दो हमेशा घाटे में चलती हैं।
पावर डिस्कॉम बी.एस.इ.एस. एवं बी.पी.वाइ.एल. जो घाटे में चलती हैं उनका खेल बहुत निराला है, उनका व्यपारिक ओप्रेशन चलाने वाली निजी कम्पनी अपने उन चारों बिजली सप्लाई करने वाले स्त्रोत जो भुगतान ना करने पर अपूर्ति बंद कर सकते हैं को पूरा भुगतान करते हैं पर दिल्ली सरकार की ही दो कम्पनियों से जो बिजली खरीदती हैं उनका भुगतान ना समय पर करती हैं ना पूरा करती हैं।इसी तरह एक ही दर पर बिजली बेच कर एन.डी.पी.एल. दिल्ली सरकार को लाभ डिविडेंड देती है पर बी.एस.इ.एस. एवं बी.पी.वाइ.एल. घाटा बढ़ाती हैं जिसकी जांच आवश्यक है।
यदि सांसद सुश्री बाँसुरी स्वराज का मानना है कि आज बी.आर.पी.एल एवं बी.पी.वाइ.एल. यह दोनों जिस आर्थिक बदहाल स्थिती में हैं वह इनके व्यपारिक ओप्रेशन चलाने वाली निजी कम्पनी के आर्थिक मिसमेनेजमेनट और प्रारम्भ से ही बदल नियती का प्रमाण है जिसकी जांच आवश्यक है। यह कैसे मुमकिन है की बिना दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार से मिलीभगत के दो डिस्कॉम घाटे दिखायें और सरकार साल दर साल घाटे बढ़ने दे।
निजी कम्पनी बिजली बेचते हुए होने वाले घाटे को वह रेगुलेटरी असैट बना देती है जो अब लगभग रूपए 21000 करोड़ से अधिक है। इस तरह निजी कम्पनी जो बिजली दिल्ली सरकार की दो कम्पनियों प्रगती पावर कार्पोरेशन एवं इंद्रप्रस्थ पावर कार्पोरेशन से खरीदती है उसका भुगतान कभी पूरा नही करती और आज उनका यह बकाया रूपए 26638 करोड़ से अधिक हो चुका है। इस दो तरफा नुकसान की स्थिती के बाद जिसमें डिस्कॉम को दिल्ली सरकार की पावर कम्पनियों को 26 हजार करोड़ से अधिक देना है और आज उसके रेगुलेटरी असैट रूपए 21 हजार करोड़ के लगभग है, यह निजी कमपनियां अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई हैं बकायदारियों को सेट आफ करवाने को।
दिल्ली सरकार यदि रेगुलेटरी असैट एवं बिजली कम्पनियों का सैट आफ स्वीकार करती है तो यह कानूनी रूप से, नैतिक रूप से और व्यपारिक रूप से गलत होगा और इसकी अंततः मार बिजली उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगी। दिल्ली सरकार एवं बी.एस.इ.एस. ने जो स्थिती बना दी है उसमे शीघ्र दिल्ली में बिजली की दरें बढ़ना तय है ।
04:41 pm 07/11/2024