तमाम जददो-जहद के बावजूद स्प्रिचुवल गुरु श्री श्री रविशंकर का विश्व सांस्कृतिक माहोत्सव आखिर संपन्न हो ही गया । डी.एन.डी. टोल ब्रिज से लगे यमुना के पश्चिमी किनारे पे लगभग 100 एकड़ जमीन पर निर्मित अस्थाई रंगशाला में भारत सहित 155 देशों के लगभग 35 लाख लोगों की सहभागिता और मौजूदगी में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया ।
कार्यक्रम को लेकर देश के राजनीतिक हलकों में मिली जुली प्रतिक्रिया हैं । कुछ का मानना है कि आयोजन से अंतर्राष्ट्रीय ख्याती में बढत हुई है वहीं कार्यक्रम के आयोजन में पर्यावरण नियमों को ताक में रखकर आयोजन किया गया । कोर्ट में दायर एक जन याचिका के अनुसार राजनीतिक एवं सियासी तिकड़म के चलते यमुना के दोनो किनारों के लगभग 2700 एकड़ जमीन को समतल बना दिया गया । जबकी कार्यक्रम के आयोजन के लिए डी.डी.ए. की इजाजत 60 एकड़़ की थी । दबाव के चलते एन.जी.टी. का रुख भी नरम पड़ गया 3 करोड़ का जुर्माना इंस्टालमेंट में बदल गया ।
आयोजकों का दावा है कि आयोजन में पर्यावरण के मानदंडो को बरकरार रखने के लिए 25.6 करोड़ का खर्चा हुआ है । एक पेड़ नहीं काटा किसानो को मुआवजा देकर आपसी रजामंदी से हुआ है काम । स्प्रिचुवल गुरु की पेशकश यमुना के किनारे का बदलेंगे स्वरुप बनेगा बायो डायवर्सिफाईड पार्क । मौके की नजाकत को देखते हुये दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविंद केजरिवाल के तेवर भी हैं नर्म । आयोजन से बढी है दिल्ली की ख्याती । मिलेगा टयूरिजम को बढावा ।
विवाद की स्थिति में बीच का रास्ता वाले स्प्रिचुवल गुरु अब हैं सवालों के घेरे में । क्या स्प्रिचुवल गुरु भी बन गये हैं अब सियासती दौड़ का हिस्सा और कैसा होगा आर्ट आफ लिविंग फाउंडेशन का व्यवसायिक स्वरुप यह तो आने वाला समय ही बतायेगा । बडे़-बडे़ आयोजनों में नियमों का उलंघन और प्रशासनिक ढ़ील तो होती ही है विचारनीय है आयोजन का मकसद.......