चलो देर से ही सही देश को महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की याद तो आई और उन्हें भारत रत्न के सम्मान से नवाजा जाना तय ,वह भी उनकी 153 वीं वर्षगांथ पर । श्रेय जाता है भा.ज.प. सरकार को । आजादी के बाद न जाने कितनी सरकार्रें आइं और चली गईं । इस दौरान कुछ एक को भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया जैसे पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी,राजीव गांधी, सचिन तेंडुलकर और बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ।
वराणसी में बनारस हिन्दु युनिवर्सिटी और प्रयाग में हिन्दी साहित्य संमेलन की बुनियाद रखने वाले महामना मालवीय कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष निर्वाचित हुए । शिक्षाविद होने के साथ-साथ वह स्वतंत्रता सेनानी भी थे । महामना मालवीय के साथ भूतपूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपई को भी भारत रत्न की उपाधी से सम्मानित होंगे । । फरक इतना एक को जीवनकाल में और दूसरे को जीवनोपरांत । बस संतोष इतना कहीं से शुरूवात तो हुई । नेताजी सुभाष चंद्र बोस और शहिद भगत सिंह की कुर्बानी को क्या भुलाया जा सकता है । लिस्ट बहुत लंबी है । नेताजी के वारिसों ने तो सम्मान लेने से स्पष्ट इंकार कर दिया ।
राजनीति हमारी फितरत ही सही, जब बात राष्ट्रीय सम्मान की आती हैं तो हम क्यों एक मत नहीं होते ...