उत्तर, मध्य वा पश्चिम भारत में बहुमत से जीत हासिल करने के बाद अब बी.जे.पी. के निशाने पर अब हैं पूर्वोत्तर राज्य और हो भी क्यूँ ना त्रिपुरा,मेघालय और नागालेंड में विधान-सभा चुनाव जो संभावित हैं । फिलहाल त्रिपुरा में लेफट फ्रंट,मेघालय में कांग्रेस वा नागालेंड में नागा पीपल फ्रंट के नेतृत्व में डेमोक्रेटिक अलायंस आफ नागालेंड की सरकारें हैं ।
तीनों का ही कार्यकाल आगामी मार्च में समाप्त होने वाला है । तीनों ही राज्यों का विधान-सभा स्वरूप एक जैसा है और प्रत्येक राज्य में 60 विधान-सभा सीटों पर मतदान संभावित है । तीना राज्यों में राजनीतिक सर्गमियों का सक्रिय हैं और समझौतों का दौर है ।
आगामी फरवरी माह में चुनाव होने के कारण त्रिपुरा राजनीतिक दलों का गढ़ बना हुआ है । फिलहाल गठजोड़ वा सभाओं का दौर है । पिछले दिनों सी.पी.एम. के महासचिव सीताराम एचुरी का अगरतल्ला में रोक शो और अब वृृदा कारंत ने गाड़ा त्रिपुरा में तंबू । बी.जे.पी. के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित भाई शाह भी पूर्वोत्तर राज्यों में चुनाव प्रचार के लिये दौरे पर थे ।
त्रिपुरा में राजनैतिक दलों का भविष्य 2569216 मतदाताओं के हाथ है जिन्में 1265785 महिलायें हैं । फिलहाल स्थाननीय दल फिलहाल बड़े राजनीतिक दलों के साथ गथजोड़ का दौर है । यहां की राजनीति समझौतों पर आधरित होगी ।
इंडिजिनस पीपल्स फ्रंट आफ त्रिपुरा के प्रतिनिधि दल ने त्रिपुरा ट्राइबल एरिया आटोनोमस डिस्ट्रक्ट काउंसिल को पृथक राज्य के दर्जे की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी वा गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात भी की । इंडिजिनियस नेशनल पार्टी आफ त्रिपुरा एवं नेशनल पर्टी आफ त्रिपुरा का गठजोड़ कांग्रेस वा त्रिणमूल कांग्रेस से साथ संभावित है ।
उलझे हुए राजनीतिक पेच और समझौतों की राजनीति के चलते क्या आने वाली सुबह के साथ खिल पायेगा पूर्वोत्तर राज्यों में कमल यह तो आने वाला समय ही बतायेगा । फिलहाल दौर है आरोपों वा प्रत्यारोपों के साथ लुभावने वायदों का .....